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नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस श्रीशानंद ने हाल ही में सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम बहुल एरिया को ‘मिनी पाकिस्तान’ और एक महिला वकील को पर ‘अंडरगार्मेंट’ पर विवादित टिप्पणी किया था. हालांकि, उन्होंने बाद में माफी मांग ली थी. वहीं, बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अदालत की सुनवाई का वीडियो को यूट्यूब, फेसबुक औकर एक्स पर लाइव स्ट्रीम न करने की नसीहत दी. वहीं, जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, एक्स और यूट्यूब को निर्देश दिया कि वे निजी संस्थाओं या व्यक्तियों द्वारा ऐसे वीडियो अपलोड करने की अनुमति न दें और पहले अपलोड किए गए वीडियो को हटा दें.

उधर कर्नाटक हाईकोर्ट के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पीठ का गठन किया था. कार्नाटक हाईकोर्ट से जज के वयान पर रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, बाद में जस्टिस श्रीशानंद ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी. अब शीर्ष कोर्ट ने भी उनके खिलाफ कार्रवाई बंद करने की घोषणा कर दी है.

सीजेआई चंद्रचूड़ की आगुवाई वाली पांच जजों की पीठ, जिसमें जस्टिस एस खन्ना, बीआर गवई, एस कांत और एच रॉय के हैं, ने जस्टिस श्रीशानंद के खिलाफ कार्रवाई को बंद करते हुए कहा, ‘कोई भी भारत के किसी भी हिस्से को ‘पाकिस्तान’ नहीं कह सकता. यह देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है. हमारा मकसद कोर्ट में हुए मुद्दे को प्रकाश में ला कर फोकस में रखना है, ना कि उसे दबाना. इस विवाद इसका जवाब, अदालत को बंद करना नहीं है.’

दरअसल, हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस श्रीशानंद ने मकान मालिक-किराएदार विवाद में सुनवाई कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को “मिनी पाकिस्तान” कहा और एक महिला वकील को लेकर महिला विरोधी टिप्पणी की. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. मामला इतना बढ़ गया कि शीर्ष न्यायालय को कर्नाटक हाईकोर्ट को तलब करना पड़ा.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने आज कहा, ‘कोर्ट में आचानक की गई टिप्पणियां व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों की ओर इंगित करती हैं, खासकर आप जब किसी खास लिंग या समुदाय को टारगेट करते हैं. इसलिए आपको भी पितृसत्तात्मक या स्त्री-द्वेषी टिप्पणी करने से सावधान रहना चाहिए. हम एक खास लिंग या समुदाय पर टिप्पणियों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं . ऐसी टिप्पणियों को नकारात्मक रूप में समझा जा सकता है. हमें उम्मीद है और भरोसा है कि सभी हितधारकों को सौंपी गई जिम्मेदारियों को बिना किसी पूर्वाग्रह और सावधानी के पूरा किया जाएगा.’

Tags: DY Chandrachud, Karnataka High Court, Supreme Court

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