आप संयोजक अरविंद केजरीवाल
– फोटो : PTI
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दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद रविवार को पहली बार आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जनता के बीच जंतर-मंतर पर पहुंचे। यहां आयोजित जनता की अदालत में उन्होंने कहा कि दिल्ली का आगामी विधानसभा चुनाव मेरी अग्निपरीक्षा है। अगर आपको लगता है कि हमने काम किया है और केजरीवाल ईमानदार है, तभी मुझे वोट देना। भाजपा वाले मुझे भ्रष्टाचारी कहते हैं तो मुझे फर्क पड़ता है। इस दाग के साथ जिंदा नहीं रह सकता। इन आरोपों के बीच जनता की अदालत में जाने का फैसला किया।
केजरीवाल ने कहा कि 10 साल दिल्ली का मुख्यमंत्री रहा, लेकिन मेरे पास रहने के लिए एक घर नहीं हैं। फिर भी मैं नवरात्र के बाद सीएम आवास छोड़ दूंगा और आपके बीच में रहूंगा। इसी बीच उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल पूछे। इन सवालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
केजरीवाल ने कहा कि पिछले 10 साल से हम दिल्ली में ईमानदारी से सरकार चला रहे थे। दिल्ली की जनता को बिजली, पानी, महिलाओं की बस यात्रा, बुजुर्गों के लिए तीर्थ मुफ्त उपलब्ध करवाई। अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल बनाए। भाजपा जानती थी कि वह चुनाव जीत नहीं सकती। इस कारण उन्होंने ईमानदारी पर चोट की। षड्यंत्र कर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया। अब हम जेल से बाहर आ गए और जेल से बाहर आने के बाद इस्तीफा दे दिया।
मुझ पर लगाया केस झूठा
केजरीवाल ने कहा कि हमारे ऊपर पीएमएलए का कठोर कानून लगाया। इसमें बेल भी नहीं मिलती है। लेकिन केस झूठा था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। जेल से बाहर आने के बाद सोचा कि जब तक कोर्ट मुझे बरी नहीं कर देता सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। इन्होंने दिल्ली की शिक्षा में बदलाव लाने वाले मनीष सिसोदिया को दो साल तक जेल में रखा। यह दो साल मनीष के नहीं देश की जनता के हुए हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पूछे पांच सवाल
- देश में जिस तरह से केंद्र सरकार ने ईडी, सीबीआई का डर दिखाकर विपक्ष की सरकारें गिरा रहे हैं क्या मोहन भागवत उससे सहमत हैं
- भाजपा के नेता जिन्हें भला बुरा कहते थे। बाद में उन्हीं भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल कराया गया। क्या आरएसएस प्रमुख इस कार्य से सहमत हैं
- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं। क्या उनके बयान से आरएसएस प्रमुख को दुख हुआ या नहीं
- 75 साल की उम्र में भाजपा के बड़े नेता सेवानिवृत्त हो गए। क्या यह नियम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू होगा या नहीं
- आरएसएस के हर कार्यकर्ता को चिंतन करना चाहिए कि क्या प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं। वह देश के लिए उचित है या नहीं
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