फिजियोथेरेपी
विस्तार
जान खो चुके अंगों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित फिजियोथेरेपी उपकरण फिर से हलचल पैदा कर रहे हैं। इन उपकरणों की मदद से उन कोशिकाओं में जान आई जिनसे आस खत्म हो गई थी। साथ ही उक्त अंग में ब्लड सर्कुलेशन भी फिर से होने लगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक सामान्य फिजियोथेरेपी उपकरण से इलाज किया जा रहा था। इन उपकरणों से इलाज के दौरान मांसपेशियों में सुधार को माप पाना संभव नहीं था। विशेषज्ञ अनुमान लगाकर आगे के उपचार नीति तैयार करते थे, लेकिन एआई आधारित उपकरण इलाज के साथ मांसपेशियों में सुधार की सटीक माप करता है। इसकी मदद से जरूरत के आधार पर फिजियोथेरेपिस्ट थेरेपी में बदलाव कर सकते हैं। ऐसा होने पर कोशिकाएं फिर से जागृत होती हैं। साथ ही इनमें ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में फिजियोथेरेपी विभाग की प्रमुख डॉ. पूजा सेठी ने बताया कि शरीर के अंगों की जरूरत के आधार पर यदि थेरेपी दी जाए तो उन अंगों में भी फिर से जान आ सकती है। दुर्घटना व अन्य कारणों से लकवाग्रस्त हुए अंग को अक्सर मृत मानकर उम्मीद खो देते हैं। ऐसे अंगों के लिए एआई उपकरणों से उपचार मददगार साबित हो रहा है। इससे थेरेपी देने के दौरान पाया गया कि सटीक माप के आधार पर दी गई थेरेपी से कोशिका में फिर से जान आ जाती है। साथ ही अंग के उक्त हिस्से में फिर से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। इससे शरीर का अंग फिर से काम करने लगता है।
कार्यक्रम में रखे गए 300 से अधिक रिसर्च पेपर
कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित हुए द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट के दूसरे आईएपी वुमन सेल के राष्ट्रीय सम्मेलन में 300 रिसर्च पेपर रखे गए। इसमें शोेध के माध्यम से बताया गया कि एआई आधारित फिजियोथेरेपी उपकरण की मदद से मांसपेशियों में चोट, न्यूरो संबंधित चोट, पार्किंसंस, डिमेंशिया, ब्रेन स्ट्रोक के बाद लकवा, स्पाइनल कॉड की इंजरी सहित दूसरे रोगों के मरीजों के अंगों में काफी सुधार आता है। इनमें कई मरीज जिंदगी भर के लिए ब्हीलचेयर पर आ जाते हैं। ऐसे मरीजों के लिए एआई आधारित रोबोटिक उपकरण मरीज को फिर से खड़ा कर पाने में सक्षम है। इसके अलावा लकवाग्रस्त हाथ में फिर से हरकत आ पाती है। इसी तरह दूसरे अंगों में भी जान लौट पाती है। इन उपकरण की मदद से कोशिकाएं फिर से जागृत होती है। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। बेड सोर कम होता है। कार्यक्रम में देशभर से दो हजार प्रतिनिधि आए थे।
2031 तक देश में हर आठवां व्यक्ति होगा बुजुर्ग
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में साल 2031 तक हर आठवां व्यक्ति बुजुर्ग होगा। बुजुर्ग आबादी की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। 2022 में देश की आबादी का 10 फीसदी बुजुर्ग की थी। साल 1961 में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी था। अनुमान है कि 2031 तक बुजुर्ग आबादी बढ़कर 13.1 फीसदी तक पहुंच जाएगी। डॉक्टरों का कहना है कि इन बुजुर्ग आबादी के शारीरिक कार्यों को बढ़ाने, समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत होगी। शनिवार से हुए कार्यक्रम में भी फिजियोथेरेपी द्वारा स्वस्थ बुढ़ापा पर मंथन किया किया। इसमें बुजुर्ग आबादी में होने वाले गिरना की घटना, गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियो-वैस्कुलर रोग सहित दूसरे रोगों से लड़ने के लिए विशेष रूप से ध्यान देने पर मंथन किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति बुढ़ापे को नहीं रोक सकता, लेकिन फिजियोथेरेपिस्ट बुजुर्ग को दर्द रहित गुणवत्तापूर्ण जीवन दे सकते हैं।
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