मेट्रो शहरों में टूटते परिवारों से याददाश्त गुम होने लगी है।
– फोटो : अमर उजाला
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मेट्रो शहरों में टूटते परिवारों से याददाश्त गुम होने लगी है। बीते एक दशक में भूलने की औसत उम्र घट गई है। 65 की जगह अब 50-60 साल की औसत उम्र के लोगों में इसके गंभीर लक्षण दिखने लगे हैं।
आरएमएल के विशेष क्लीनिक में आने वाले मरीजों की बीमारी के स्तर के विश्लेषण से पता चला है कि करीब 40 फीसदी मरीज इसी आयु वर्ग के हैं। जबकि पश्चिमी देशों में यह
आंकड़ा 15 फीसदी से कम है। छोटे परिवार के साथ मधुमेह और बीपी को डॉक्टर इसकी बड़ी वजह बता रहे हैं। साथ में ब्रेन स्ट्रोक भी यादों को धुंधला कर रहा है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि कम्यूनिटी के स्तर पर अध्ययन से मेट्रो शहरों की गुम होती याददाश्त की वास्तविक तस्वीर सामने आ सकेगी। विशेेषज्ञ बताते हैं कि बातचीत के अभाव में छोटे परिवार में तनाव रिलीज होने की संभावना कम रहती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति व्यक्ति में बीपी, मधुमेह सहित दूसरे मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारक बन सकते हैं। इसके अलावा छोटे परिवार में मरीज को उचित देेखभाल नहीं मिल पाता। जबकि अल्जाइमर रोगी को 24 घंटे नर्सिंग की जरूरत होती है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. अत्री चटर्जी ने कहा कि क्लीनिक में नौकरी पेशा ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिनके बच्चे बाहर पढ़ने या नौकरी के लिए बाहर चले गए। घर में पति-पत्नी के अलावा और कोई नहीं है। जबकि अल्जाइमर के रोगी को दवा के साथ उचित देखभाल की भी जरूरत होती है। उनका कहना है कि अल्जाइमर मरीजों के लिए अस्पताल में चल रहे विशेष क्लीनिक में करीब 40 मरीज हर माह इलाज करवाने आ रहे हैं।
अल्जाइमर रोग के प्रमुख लक्षण
- याददाश्त में कमी : हाल की घटना या बातचीत को भूलना
- विचलन : समय व स्थान के बारे में भ्रमित होना
- भाषा की दिक्कत : शब्दों को खोजने या बात करने में परेशानी
- निर्णय लेने में परेशानी : सरल निर्णय लेने में भी कठिनाई
- रुचि में कमी आना : पहले से पसंदीदा गतिविधियों में दिलचस्पी न रहना
- समाज से दूर होना : परिवार व दोस्तों से दूर-दूर रहना
- मूड में बदलाव : अचानक मूड या व्यवहार में बदलाव आना
14 में एक मरीज अल्जाइमर का शिकार
विशेषज्ञ बताते हैं कि अल्जाइमर रोगी की पहचान के लिए देश भर के डॉक्टरों ने साल 2023 में एक शोध किया। इस शोध में 7.4 फीसदी लोग अल्जाइमर के रोगी पाए गए। विशेेषज्ञ बताते हैं कि यह शोध शहरी क्षेत्र में हुआ। इसमें 14 में से एक मरीज अल्जाइमर का रोगी मिला। यदि इसे बड़े स्तर पर करते हैं तो इनकी संख्या और अधिक हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में अल्जाइमर रोगियाें की समय पर पहचान कर इलाज देने के लिए समुदाय स्तर पर पहचान करनी होगी। समय पर इलाज होने से रोगी में होने वाली जटिलता को रोका जा सकता है।
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