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भारत मंडपम में वर्ल्ड फूड इंडिया
– फोटो : Twitter@ignca_delhi

विस्तार


हड़प्पा काल में पहुंचने के लिए अब यू-ट्यूब या इतिहास की किताब के पन्ने पलटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। भारत मंडपम में लगे वर्ल्ड फूड इंडिया मेले में बिहार से आया सोनामोती गेहूं आपको उस काल में ले जाएगा। स्वास्थ्य संबंधी फायदों से भरपूर यह गेहूं खरीदारों को दो-ढाई हजार साल पहले हड़प्पा काल के लोगों की सेहत के बारे में सोचने पर मजबूर कर रहा है।

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इस विशेष किस्म के गेहूं की खास बात यह है कि इसका बीज दो-ढाई हजार साल पहले हड़प्पा काल का है। इसे ओडिशा में संभालकर रखा गया। बाद में जब इसे किसानों में बांट दिया गया तो भारत के कई क्षेत्रों में सोनामोती गेहूं की खेती शुरू हुई। जहां आम गेहूं की गिनती अमूमन कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन के महत्वपूर्ण स्रोतों में होती है। मेले में मौजूद सोनामोती गेहूं फोलिक एसिड से युक्त लोग्लूटीन शुगर फ्री है। 

विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे गेहूं का सेवन करने से कैंसर व मधुमेह के मरीज लाभान्वित होते हैं। इसके अलावा इसमें ग्लूटेन की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह लोगों को यकीन दिला देता है कि 2000 साल पहले लोगों का आहार कितना पौष्टिक रहा होगा। वह कितने स्वस्थ रहते होंगे। मेले में इसकी जबर्दस्त डिमांड रही। बिहार पवेलियन में देर शाम तक यह गेहूं 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बिका।

शुगर व कैंसर मरीजों के लिए वरदान 

बिहार से गेहूं बेचने आए दुकानदार सुबोध चौधरी ने बताया कि सोनामोती गेहूं में किसी भी अन्य अनाज के मुकाबले तीन गुना अधिक फोलिक एसिड है। जबकि कार्बोहाइड्रेट न के बराबर है। हालांकि, अन्य अनाज से लगभग 267 फीसद अधिक खनिज और 40 फीसद अधिक प्रोटीन है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभदायक है। इतना ही नहीं, इसमें ग्लूटेन व ग्लाइसेमिक तत्व कम होने के कारण यह डायबिटीज व कैंसर पीड़ितों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

  खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए 10 वर्षों में किए व्यापक सुधार- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए पिछले 10 वर्षों में व्यापक सुधार किए हैं। इन कदमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत आधुनिक युग में प्रगतिशील कृषि पद्धतियों, मजबूत प्रशासनिक ढांचे व अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के जरिये खाद्य क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता और सुरक्षा के वैश्विक मानक स्थापित करे।

पीएम मोदी ने बृहस्पतिवार को वर्ल्ड फूड इंडिया-2024 के तीसरे संस्करण में अपने संदेश में कहा, सरकार का लक्ष्य छोटे उद्यमों को सशक्त बनाना है। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, प्रधानमंत्री किसान संपदा, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन जैसी बहुआयामी योजनाओं के जरिये हम देशभर में आधुनिक बुनियादी ढांचे, मजबूत आपूर्ति शृंखलाओं और रोजगार सृजन का परिवेश तैयार कर रहे हैं।

खाद्य परिवेश का मजबूत आधार हैं मेहनती किसान

पीएम ने कहा, भारत में जीवंत व विविध खाद्य संस्कृति है। किसान भारतीय खाद्य परिवेश की रीढ़ है, जिन्होंने पाक उत्कृष्टता की पौष्टिक और स्वादिष्ट परंपराओं को सुनिश्चित किया है। हम नवीन नीतियों के साथ किसानों की कड़ी मेहनत का समर्थन कर रहे हैं। पीएम ने कहा, वर्ल्ड फूड इंडिया-2024 वैश्विक खाद्य उद्योग, शिक्षा व अनुसंधान क्षेत्र में प्रतिभाशाली लोगों के लिए विशेष मंच के रूप में सामने आया है। यह कार्यक्रम 19 से 22 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित हो रहा है। इसमें 90 से अधिक देश हिस्सा ले रहे हैं।

मेले में दिल्ली पवेलियन भी मौजूद

बिहार पवेलियन के अलावा दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग ने भी वर्ल्ड फूड इंडिया मेले में दिल्ली पवेलियन स्थापित किया है। इसमें उद्योग विभाग, खाद्य सुरक्षा विभाग, दिल्ली जेल, दिल्ली कौशल और उद्यमिता विश्वविद्यालय, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट और पीएमएफएमई एसपीएमयू अपने उत्पादों और योजनाओं का प्रदर्शन किया गया है। मेले में खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां, उपकरण निर्माता, स्टार्टअप, उद्यमी, अनुसंधान संस्थान और पैकेज्ड फूड के आयातक/निर्यातक अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

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