प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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अदालत ने अक्टूबर 2021 में एक दिव्यांग महिला से दुष्कर्म के आरोप में दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के 53 वर्षीय पूर्व कर्मचारी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आंचल ने अपने फैसले में कहा यह सुस्थापित कानून है कि सजा देने से संबंधित कोई भी निश्चित सूत्र होना संभव नहीं है, लेकिन सजा देने का उद्देश्य यह देखना होना चाहिए कि अपराध करने वाले को सजा मिले और अपराध के पीड़ित के साथ-साथ समाज को भी यह संतुष्टि हो कि सजा देने में न्याय हुआ है।
अदालत ने कहा, ऐसा नहीं है कि दोषी मानसिक तनाव या आघात की स्थिति में था या उसने किसी मजबूरी में अपराध किया था, बल्कि दोषी ने पीड़िता की निजता का उल्लंघन करते हुए अपराध किया था। अदालत ने कहा, आज की तारीख में दोषी की उम्र 53 वर्ष है। वह पहले ही अस्पताल से अपनी नौकरी खो चुका है। उसने मुकदमे के दौरान एक साल से अधिक समय हिरासत में बिताया और उसके खिलाफ कभी भी इस अदालत में कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं की गई।
हत्या के मामले में ठहराया दोषी
साकेत कोर्ट ने 2016 के हत्या के एक मामले में एक आरोपी को दोषी ठहराया है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराध का मकसद स्थापित नहीं करने से अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर नहीं हुआ है, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा भान सिंह उर्फ भानू के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर 29 अक्तूबर 2016 को देदु उर्फ कबाड़ी की फावड़े से मारकर हत्या करने का आरोप था। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी के अपराध को साबित करने वाली परिस्थितियों को सफलतापूर्वक स्थापित किया है।
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