इसके बाद एक एक्स पोस्ट में रेल मंत्रालय ने गोखले के दावों का खंडन करते हुए उनसे गलत सूचना न फैलाने को कहा. टीएमसी सांसद के वंदे भारत की लागत 50 फीसदी बढ़ाने के दावे पर रेल मंत्रालय ने पलटवार किया. रेल मंत्रालय ने X पर पोस्ट किया कि कृपया गलत सूचना और फर्जी खबरें फैलाना बंद करें. कोच की संख्या से गुणा की गई प्रति कोच लागत ट्रेन की लागत के बराबर होती है. स्लीपर परियोजना में, प्रक्रिया में पारदर्शिता के कारण प्रति कोच लागत सभी बेंचमार्क से कम है.
रेल मंत्रालय ने दी सफाई
रेल मंत्रालय ने कहा कि हमने लंबी ट्रेनें बनाने के लिए कोचों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी है. जिससे कांट्रैक्ट में कोचों की कुल संख्या स्थिर रहेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन ट्रेनों की यात्रा के लिए बड़ी मांग है. पहले 16 कोच की 200 ट्रेनें बनाईं जानी थीं, जिनमें 3200 कोच लगने वाले थे. अब 24 कोचों की 133 ट्रेनें बनाईं जाएगी, जिनमें कुल 3192 कोच होंगे. रेलवे ने कहा कि अगर देखा जाए तो इस तरह कांट्रैक्ट की कुल लागत वास्तव में कम हो गई है. क्योंकि ट्रेन की लंबाई बढ़ाने पर बचत होती है. हम रेलवे यात्रा की बड़ी मांग को देखते हुए रिकॉर्ड संख्या में नॉन एसी कोच (12000) बना रहे हैं.
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वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन वंदे ट्रेनों की अगली कड़ी हैं. दक्षिण मध्य रेलवे के एक बयान के मुताबिक “वंदे भारत स्लीपर ट्रेन उन्नत तकनीक और आराम का मिश्रण मुहैया कराती हैं, जो रेल यात्रा के लिए एक नया मानक कायम करती है. ये ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेगी, जिससे तेज और सुंदर यात्रा सुनिश्चित होगी.
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