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-पैराडाइज क्लब और साइबर थाने का संयुक्त प्रयास जागरूक रहें सुरक्षित रहें

गाजियाबाद। जिले में बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने के लिए राजनगर सेक्टर- पांच स्थित आर्य समाज मंदिर में रविवार को पैराडाइज क्लब ने थाना साइबर क्राइम के सहयोग से साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थापक पैराडाइज क्लब, मेघना बसंल द्वारा आयोजित इस साइबर क्राइम जागरूकता कार्यक्रम में क्षेत्र की महिलाओं ने हिस्सा लिया। एडीसीपी क्राइम सच्चिदानन्द कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे। एसीपी (साइबर क्राइम) श्वेता यादव और साइबर थाना प्रभारी संतोष कुमार तिवारी कार्यशाला में मौजूद लोगों को साइबर अपराध से बचाव के संबंध में जानकारी दी। इस साइबर क्राइम जागरूकता कार्यशाला में पैराडाइज क्लब की महिलाओं को साइबर अपराध से बचाव हेतु जागरूक किया गया।

साइबर अपराधी इंस्टाग्राम/फेसबुक पर शेयर ट्रेडिंग संबंधित एआई द्वारा बनाये गए प्रतिष्ठित व्यक्तियों के फेक वीडियो विज्ञापन द्वारा प्रलोभित कर शेयर ट्रेडिंग संबंधित टिप्स देने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप पर जोड़कर फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड कराते हैं। इन फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप पर शेयर ट्रेडिंग के लिए झांसा देकर, विभिन्न बैंक खातों में पैसा जमा कराते हैं। जब ट्रेडिंग से कमाया हुआ पैसा पीड़ित निकालने का प्रयास करता है तो विभिन्न टैक्स के नाम पर अतिरिक्त पैसे जमा कराने की कोशिश करते हैं। जब पीड़ित पैसा नहीं निकाल पाता तब उसे अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड का पता चलता है। ऐसे शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड से बचने के लिये सदैव अधिकृत कंपनी के माध्यम से ही शेयर ट्रेडिंग करें। शेयर ट्रेडिंग के लिए अधिकृत कंपनी के ही बैंक अकाउंट में पैसा जमा करें। प्रत्येक शेयर ट्रेड के बाद संबंधित कंपनी से शेयर एलॉटमेंट की ईमेल चेक करें। संस्थागत खाता द्वारा कंपनी से सीधे आईपीओ दिलाने के झांसे में न आयें।

टेलीग्राम टास्क फ्रॉड
साइबर अपराधी वर्क फ्रॉम होम के जरिये घर बैठे पैसे कमाने का लालच देकर टेलीग्राम व व्हाट्सएप के माध्यम से विभिन्न प्रतिष्ठानों के गूगल रिव्यू देने पर पैसे मिलने का लाभ दिखाते हैं। शुरुआत में गूगल रिव्यू टास्क कराकर कुछ पैसे पीड़ित को देते हैं, उसके बाद प्रीपेड टास्क के नाम पर पैसे जमा करवाते हैं। इस टास्क के माध्यम से कमाये गये पैसे जब पीड़ित निकालने का प्रयास करता है तो ये अपराधी और टास्क कम्पलीट करने को या पैसा निकालने के लिए विभिन्न टैक्स जमा कराने के नाम पर और अधिक पैसे जमा कराते हैं।

पीड़ित ज्यादा पैसा पाने के लालच में टैक्स के नाम पर या टास्क कम्पलीट करने के नाम पर और पैसे जमा करते जाते हैं। पीड़ित जब पैसे नहीं निकाल पाता तब उसे अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड का पता चलता है। ऐसे टेलीग्राम टास्क फ्रॉड से बचने के लिये वर्क फ्रॉम होम के नाम पर टेलीग्राम या व्हाट्सएप मैसेज को रेस्पॉन्ड करने से बचें। गूगल रिव्यू के नाम पर प्रीपेड टास्क से बचें। ध्यान रखें कि किसी भी अधिकृत कंपनी द्वारा विभिन्न नाम के बैंक अकाउंट का प्रयोग नहीं किया जाता है। केवल कंपनी के नाम का ही अकाउंट प्रयोग किया जाता है।

सेक्सटॉर्शन फ्रॉड
सेक्सटॉर्शन फ्रॉड में साइबर अपराधियों द्वारा फेसबुक मैसेंजर/व्हाट्सएप पर 20 से 65 वर्ष की उम्र के पुरुषों की प्रोफाइल फोटो देखकर उन्हें टारगेट बनाया जाता है। चैटिंग से शुरुआत की जाती है तथा पीड़ितों की समस्त सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी कर लेते हैं। लड़कियों से पीड़ित के मोबाइल पर व्हाट्सएप / फेसबुक मैसेंजर से वीडियो कराते हैं। वीडियो कॉल पर लड़की अपने कपड़े उतारकर पुरुष को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है तथा इस वीडियो कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर ली जाती है। इसके बाद साइबर अपराधियों द्वारा पीडि़त को पुलिस अधिकारी/ यूट्यूब अधिकारी बनकर यूट्यूब पर वीडियो वायरल करने तथा पीड़ित के परिचितों की सोशल मीडिया से डिटेल लेकर उनको भेजने का भय दिखाकर ब्लैकमेल कर पैसे वसूलते हैं।

ऐसे सेक्सटॉर्शन फ्रॉड से बचने के लिये अन्जान लोगों की वीडियो कॉल न उठायें। अपनी निजी जानकारी, फोटो, वीडियो इत्यादि सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनजान लोगों से दोस्ती करने से बचें, सोशल मीडिया प्रोफाइल की ”प्राइवेसी सेटिंग्स” में यह चयन करने का विकल्प देती है कि कौन आपके पोस्ट व फोटो देख सकता है एवं फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज सकता है। इन्हीं सेटिंग्स में माई फ्रेंड ओनली सेटिंग का चयन कर अनजान लोगों को अपने प्रोफाइल तक पहुँचने से रोकें। अगर आपके साथ सेक्सटॉर्शन का साइबर फ्रॉड हो जाता है तो तत्काल पुलिस से शिकायत करें एवं अपराधियों को पैसे न दें।

जागरूकता ही साइबर अपराध से बचने का बेहतर उपाय
एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने लोगों को जागरूक करते हुए बताया आपके मोबाइल पर आए ओटीपी या एटीएम पिन को किसी के साथ शेयर न करें, फर्जी जॉब के ऑफर से भी सावधान रहें, असत्यापित लिक पर क्लिक न करें, इंटरनेट मीडिया पर अज्ञात लोगों से फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें, अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा करते समय सावधानी बरतें, किसी भी झांसा या प्रलोभन देने वाले हाइपर लिक/ वेबलिंक्स/ यूआरएल को न खोलें, क्योंकि ये आपकी निजी व वित्तीय जानकारियों को लीक कर सकते है। आईजी राकेश आर्य ने बताया कि लोगों को साइबर ठगी से बचाने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। लोगों की जागरूकता से ही साइबर ठगों को मात दी जा सकती है। खुद को ठगों से बचाने के लिए सबसे जरूरी जागरूकता व सतर्कता है। साइबर ठगों के निशाने पर हर वह आदमी है, जो किसी भी डिजिटल माध्यम से जुड़ा है। फिर चाहे वह इंटरनेट मीडिया हो या फिर इंटरनेट बैंकिंग।

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