झांसी. अन्ना प्रथा पर रोक लगाने और निराश्रित गोवंशों को संरक्षण देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गयी मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना ने बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में गोवंशों को संरक्षण देने और पशुपालकों को आर्थिक मदद प्रदान करने का काम किया है. इस योजना के माध्यम से झांसी मंडल के तीन जिलों जालौन, ललितपुर और झांसी में 21,183 निराश्रित गोवंश पशुपालकों के सुपुर्द किए गए हैं और इसके एवज में इन पशुपालकों को प्रति गोवंश प्रतिदिन 50 रूपए यानि 1500 रूपए प्रतिमाह प्रदान करती है. एक पशुपालक अधिकतम 4 गोवंश को पालने के लिए ले सकता है.
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत ललितपुर जिले में 4956 पशुपालकों को 11,849 निराश्रित गोवंश देकर संरक्षित किए गए हैं. जालौन जिले में 2542 पशुपालकों ने 4534 निराश्रित गोवंश पालने के लिए लिया है और झांसी जिले में 2697 पशुपालकों ने 4800 निराश्रित गोवंश पालने के लिए लिया है. तीनों जिलों में 10,195 पशुपालकों ने 21,183 निराश्रित गोवंश पालने के लिए लिया है. योजना के अंतर्गत प्रति पशु प्रतिदिन 50 रुपये यानि प्रति पशु प्रतिमाह 1500 रुपये प्रदान किया जाता है.
निराश्रित गोवंश बना रोजगार का अवसर
पशुपालन विभाग के झांसी मंडल के अपर निदेशक डॉ. राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के माध्यम से लाभार्थी व्यक्ति को अधिकतम 4 गोवंश सुपुर्दगी में दिए जाते हैं. यह योजना लोगों के लिए रोजगार का भी जरिया साबित हो रही है और पशुपालन की प्रवृत्ति बढ़ रही है. बेसहारा और निराश्रित गोवंशों को संरक्षित करने में इससे मदद मिल रही है
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