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वीके सक्सेना
– फोटो : एएनआई
विस्तार
लोकनायक अस्पताल में बन रहे अतिरिक्त ब्लॉक की निर्माण लागत 670 करोड़ रुपये बढ़ाने की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) करेगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जांच के लिए मामला सतर्कता विभाग के माध्यम से सीवीसी को भेजने को कहा है।
ब्लॉक निर्माण का शुरुआती टेंडर 465 करोड़ रुपये तय किया गया था। लेकिन इसे बढ़ाकर 1135 करोड़ रुपये कर दिया गया। आरोप हैं कि निर्माण लागत 670 करोड़ रुपये बढ़ाने के दौरान वित्त विभाग और कैबिनेट से मंजूरी भी नहीं ली गई। सीवीसी को भेजे गए मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और लोक निर्माण विभाग मंत्री आतिशी पर भी मिलीभगत का आरोप लगा है।
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, लोकनायक अस्पताल में अतिरिक्त ब्लॉक के निर्माण के लिए 465 करोड़ रुपये का टेंडर जारी हुआ था। इस राशि को चुपके से बढ़ाकर 1135 करोड़ रुपये कर दिया गया। ऐसा करने से दिल्ली सरकार पर करीब 670 करोड़ रुपये की अनधिकृत देनदारी बन गई। इसमें कहा गया है कि मंत्री सौरभ भारद्वाज का स्वास्थ्य विभाग और मंत्री आतिशी के लोक निर्माण विभाग की स्पष्ट मिलीभगत का पता चला है। इसे देखते हुए एलजी वीके सक्सेना ने सतर्कता विभाग से कहा कि वह केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से इस मामले में विस्तृत तकनीकी जांच करने के लिए मुख्य तकनीकी परीक्षकों की एक विशेष टीम गठित करने का अनुरोध करें।
गठित हुई समिति, सभी अस्पतालों की होगी जांच
एलजी ने प्रक्रियागत उल्लंघनों की जांच के लिए एक समिति भी गठित की है। यह समिति उन कारणों का पता करेगी जिससे लागत में 670 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। साथ ही समिति दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में चल रही ऐसी सभी परियोजनाओं की भी जांच करेगी।
कैबिनेट में नहीं हुआ पास
सीवीसी को भेजे गए मामले में कहा गया कि ब्लॉक के निर्माण लागत को बढ़ाने का पूरा मामला विभाग के इंजीनियरों के स्तर पर ही किया गया, जबकि इस रकम को बढ़ाने के लिए वित्त विभाग और कैबिनेट के पास जाना चाहिए था। ऐसा कहा गया है कि एलजी की ओर से 22 जून 2023 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष मामला उठाए जाने के बाद आप सरकार ने लागत में बढ़ोतरी की मंजूरी के लिए मार्च 2024 में कैबिनेट नोट लाया था। हालांकि यह अभी तक लंबित है।
30 माह में होना था निर्माण कार्य पूरा
लोकनायक अस्पताल के नए भवन ब्लॉक का निर्माण 30 माह में पूरा होना था। निर्धारित शुरुआती तारीख 4 नवंबर 2020 थी। लेकिन साढ़े तीन साल बाद भी निर्माण कार्य की मौजूदा प्रगति 64 फीसदी है। जबकि लागत में 243 फीसदी की वृद्धि हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के इस परियोजना को दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग को सौंपा था।
465 करोड़ रुपये थी लागत
इस परियोजना की शुरुआती लागत 465 करोड़ रुपये थी। लेकिन पुनर्मूल्यांकन और कार्य के दायरे में विस्तार की वजह से लागत 1135 करोड़ रुपये पहुंच गया। पीडब्ल्यूडी ने लागत में बढ़ोतरी का कारण कार्य के दायरे में वृद्धि को बताया, लेकिन कार्य के दायरे में केवल 8.61 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि लागत में 143 फीसदी की भारी वृद्धि हुई।
सरकार ने जांच का किया स्वागत
लोकनायक अस्पताल के ब्लॉक निर्माण की लागत बढ़ने की जांच का सरकार ने स्वागत किया है। दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल ने अपने आदेश में खुद माना कि लागत में वृद्धि सरकार की जानकारी के बिना अधिकारियों के स्तर पर हुई है। हम इस मामले में किसी भी जांच का स्वागत करते हैं। अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए। दिल्ली के अधिकारी सीधे तौर पर एलजी के नियंत्रण में हैं। सतर्कता विभाग सीधे एलजी के अधीन है। मामला प्रकाश में आने के बाद विभाग को और अधिक सक्रिय होकर इस दिशा में कार्रवाई करना चाहिए।
लोकनायक अस्पताल में कर्मचारियों के अभाव में टली सर्जरी
लोकनायक अस्पताल से हटाए गए पैरामेडिकल स्टाफ के कारण सर्जरी को टालनी पड़ रही है। आने वाले दिनों में भी राहत की उम्मीद नहीं दिख रही। एक दिन पहले ही अस्पताल प्रशासन ने 51 पैरामेडिकल स्टाफ को हटा दिया था। इन्हें कोरोना महामारी के दौरान अस्थायी तौर पर भर्ती किया गया था।
डॉक्टरों का कहना है कि मंगलवार को सर्जरी सुविधा प्रभावित हुई। ऑपरेशन थियेटर तकनीशियन और पैरामेडिकल स्टाफ के कारण काम नहीं हो पाया। डॉक्टरों का दावा है कि सुबह की पाली में ओटी ब्लॉक में 13 में से चार ओटी संचालित नहीं हो सकी। इस दौरान करीब 12-15 मरीजों की सर्जरी रोकनी पड़ी। हालांकि अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि मंगलवार को केवल एक सर्जरी ही प्रभावित हुई है।
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