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लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) की 100वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग पूरी हो गई है. इस मीटिंग में मौजूद यूपी सरकार के मुख्य सचिव और संस्थान के अध्यक्ष दुर्गा शंकर मिश्रा और संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने बताया कि मौजूदा टेलीमेडिसिन और बायोइन्फॉर्मेटिक्स स्कूल को पूरी तरह से अब टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य विभाग में बदल दिया जायेगा. टेलीमेडिसिन विभाग संस्थान के विभिन्न सुपर स्पेशियलिटी विभागों को आउटरीच सेवाएं प्रदान करेगा और रोग निगरानी और निरीक्षण के साथ-साथ डेटा संग्रह, विश्लेषण और सूचित निर्णय लेने की सुविधा भी प्रदान करेगा.

उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं होंगी उपलब्ध
वहीं, नव निर्मित विभाग को आईटी और डिजिटल सूचना विज्ञान क्षेत्र से चार और डिजिटल स्वास्थ्य और नैदानिक क्षेत्र से चार, कुल आठ संकाय पद भी स्वीकृत किए गए हैं. यह विभाग उत्तर प्रदेश राज्य के हर जिले को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं, परामर्श और निगरानी सेवाएं प्रदान करने में एक लंबा सफर तय करेगा. इससे राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों तक विभिन्न सुपर-स्पेशियलिटी विभागों की पहुंच भी मजबूत होगी. उन्होंने बताया कि नव निर्मित टेलीमेडिसिन विभाग टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य में विभिन्न पाठ्यक्रम चलाएगा.

बच्चों का इलाज होगा और भी आसान
निदेशक ने बताया कि इस बैठक में बाल रोगियों के लिए नए गुर्दे विज्ञान विभागों के निर्माण को भी मंजूरी दे दी गई है. पीडियाट्रिक यूरोलाजी विभाग और पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग को मंजूरी दे दी गई है. गवर्निंग बॉडी ने ऑर्थोपेडिक्स विभाग को भी मंजूरी दे दी है, जिसमें ऑर्थोपेडिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन, हैंड सर्जरी, स्पाइनल सर्जरी और हिप और जॉइंट सर्जरी में एमडी सहित नए पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे.

छह साल के सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम
इस दौरान मुख्य सचिव ने रेडियोथेरेपी और ऑन्कोलॉजी, पीडियाट्रिक यूरोलॉजी और कार्डियो वैस्कुलर और थोरेसिक सर्जरी में नए एकीकृत छह साल के सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों को भी मंजूरी दी है. उन्होंने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से उचित मंजूरी ली जाए.

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