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ये दिल नहीं कर सकता ज्यादा इंतजार
छह माह ही झेल सकता पीड़ा, पर सर्जरी के लिए दो साल का इंतजार
देश के बड़े हृदय रोग के अस्पताल एम्स व सफदरजंग में सर्जरी के लिए लंबा इंतजार
06 : साल की वेटिंग मिल रही कुछ मामलों में
1000 : से ज्यादा मरीज आते हैं विभिन्न राज्यों से
ओपीडी में आने वाले गंभीर मरीजों में से 10 फीसदी को पड़ती है सर्जरी की जरूरत
राकेश शर्मा
नई दिल्ली। दिल के मरीज छह माह तक ही रोग का बोझ झेल सकते हैं, लेकिन दिल्ली के बड़े अस्पतालों में हार्ट सर्जरी के लिए औसतन दो साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है। मरीजों का दबाव ज्यादा होने से कुछ मामलों में तो छह साल तक की वेटिंग है। मसलन, एम्स में अयंश नाम के नवजात को छह साल की वेटिंग दी गई। वहीं, इसी अस्पताल से करीब दो साल की वेटिंग मिलने पर एक मरीज को अपना आपरेशन भारी खर्च पर एक निजी अस्पताल में करवाना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से गंभीर मरीज रेफर होकर आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीज की स्थिति काफी खराब होती है। ओपीडी में जांच के दौरान गंभीर मरीजों में से करीब 10 फीसदी को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इनमें वाल्व की खराबी, धमनियां के ब्लॉकेज सहित दूसरे जटिल मामले होते हैं। इन्हें जांच के बाद शरीर की स्थिति, दिल में क्षमता सहित दूसरे मूल्यांकन के बाद लंबी तारीख मिलती है।
एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. नीतीश नायक ने कहा कि एम्स में देशभर से जटिल मामले रेफर होकर आते हैं। यहां हर दिन एक हजार से अधिक की ओपीडी होती है। यदि इनमें 10 फीसदी को भी सर्जरी की जरूरत होती है तो सभी को तुरंत सुविधा देना संभव नहीं है। इसके अलावा एम्स में आने वाले ज्यादातर केस जटिल होते हैं जिनकी सर्जरी के लिए लंबा समय लगता है। एम्स दिन-रात पूरी क्षमता के साथ सभी ओटी चला रहा है, बावजूद इसके मरीजों का बोझ काफी ज्यादा होने के कारण मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, सफदरजंग अस्पताल के हार्ट कमांड सेंटर में भी काफी जटिल मामले आते हैं।
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दिल्ली के इन अस्पतालों में होती है दिल की सर्जरी
– एम्स
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – एक से हजार से अधिक
दिल की सर्जरी हर साल – 2000 सर्जरी से अधिक
दिल की सर्जरी की वेटिंग – 2 साल तक
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– सफदरजंग अस्पताल
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – अस्पताल ने जानकारी नहीं दी
दिल की सर्जरी हर साल – अस्पताल ने जानकारी नहीं दी
दिल की सर्जरी की वेटिंग – 2 साल तक
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– डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – 300
दिल की सर्जरी हर साल – 600 तक
दिल की सर्जरी की वेटिंग – एक साल तक
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– जी बी पंत अस्पताल
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – 1200
दिल की सर्जरी हर साल – 1800 तक
दिल की सर्जरी की वेटिंग (दिल्ली के बाहर के मरीज) – छह माह तक
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– जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – 200 से अधिक
दिल की सर्जरी हर साल – सुविधा नहीं है।
दिल की सर्जरी की वेटिंग ——
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– राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
ओपीडी में मरीज नए व पुराने रोजाना – 250 तक
दिल की सर्जरी हर साल – 450 तक
दिल की सर्जरी की वेटिंग – 1-3 माह तक
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छह माह से ज्यादा न मिले वेटिंग
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. विजय ग्रोवर ने कहा कि दिल की सर्जरी में छह माह से अधिक की वेटिंग देनी ही नहीं चाहिए। हमारी कोशिश रहती है कि किसी भी मरीज को ज्यादा इंतजार न करना पड़े।
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बढ़ रही है दिल की सर्जरी
जीबी पंत अस्पताल में कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) के प्रोफेसर डॉ. हरप्रीत सिंह ने बताया कि खराब जीवन शैली के कारण युवाओं में मोटापा बढ़ रहा है। इसके अलावा मधुमेह, तनाव, परिवार में कोई समस्या सहित अन्य कारणों से ऐसे लोगों में बाइपास सर्जरी की मांग बड़ी है। पहले 50 साल के बाद ऐसे मरीज आते थे, अब 40-50 साल के मरीज भी आ रहे हैं। उम्र घटने से मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा भारतीय लोगों में रूमेटिक बुखार के कारण युवाओं में हृदय वाल्व के सिकुड़ने की समस्या ज्यादा है। अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीज भी इसी रोग के कारण सर्जरी करवाने आते हैं। मरीजों को परेशानी के बारे में पता ही तब चलता है जब यह एक सेमी तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में दिल की सर्जरी करनी पड़ती है। बता दें रूमेटिक बुखार एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है जो ऊत्तकों और अंगों में सूजन का कारण बनती है।
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इन सूरत में होती है दिल की सर्जरी
– हृदय वाल्व का खराब होना या सिकुड़ना
– हृदय वाल्व में लीकेज
– दिल की तीनों धमनियां में ब्लॉकेज होना
– नवजात या बच्चे के दिल में छेद होना
– नवजात के दिल की धमनियां गलत बनना या जुड़ना
– बच्चा नीला पड़ जाना
– पैरों की धमनियां बंद होना
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निजी अस्पताल में चार गुना खर्चा
दिल की सर्जरी के लिए सरकारी अस्पताल के मुकाबले निजी अस्पतालों में चार गुना तक खर्चा आता है। एक अनुमान के अनुसार एम्स, आरएमएल, सफदरजंग अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी में एक लाख रुपये तक खर्च हो जाता है। जबकि निजी अस्पताल में सामान्य बेड पर चार लाख रुपये का पैकेज दिया जाता है। वहीं वाल्व बदलने में भी इंप्लांट के मूल्य के अलावा इतना ही खर्च होता है।
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येह करें, दिल का रोग रहेगा दूर
– तनाव, मधुमेह से दूर
– तंबाकू व धूम्रपान से दूर
– तीन से चार किमी पैदल चलना
– फास्ट फूड का सेवन न करें
– मौसमी फल व सब्जी का सेवन
– योग
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