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बेंगलुरु5 मिनट पहले

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ये तस्वीर पिछले रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (LEX) की है।

इसरो ने आज यानी, 23 जून को लगातार तीसरी बार रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (LEX) में सफलता हासिल की है। “पुष्पक” ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एडवांस ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी का प्रदर्शन करते हुए एक सटीक हॉरिजोंटल लैंडिंग को पूरा किया।

कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में सुबह 07:10 बजे लैंडिंग एक्सपेरिमेंट के तीसरे और फाइनल टेस्ट को अंजाम दिया गया है। RLV LEX-01 और RLV LEX-02 मिशन की सक्सेस के बाद RLV LEX-03 में और ज्यादा चैलेंजिंग कंडीशन्स में ऑटोनॉमस लैंडिंग कैपेबिलिटी को प्रदर्शित किया गया।

चिनूक हेलिकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया पुष्पक
चित्रदुर्ग के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में पुष्पक को इंडियन एयरफोर्स के चिनूक हेलिकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। LEX-2 एक्सपेरिमेंट के दौरान 150 मीटर की क्रॉस रेंज से पुष्पक रिलीज किया गया था जिसे इस बार बढ़ाकर 500 मीटर किया गया था। इसके अलावा हवाएं भी काफी तेज थी।

पुष्पक ने क्रॉस रेंज करेक्शन मनुवर को एग्जीक्यूट करते हुए होरिजेंटल लैंडिंग को सटीकता से अंजाम दिया। जब पुष्पक को हेलिकॉप्टर से छोड़ा गया था, तब उसकी लैंडिंग वेलोसिटी 320 kmph से ज्यादा पहुंच गई थी। ये वेलोसिटी कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट की 260 kmph और फाइटर एयरक्राफ्ट की 280 kmph की वेलोसिटी से ज्यादा है। टचडाउन के बाद इसकी विलोसिटी को घटाकर 100 kmph तक लाया गया।

पुष्पक में लगे ब्रेक पेराशूट की मदद से विलोसिटी को घटाया गया था। इसके बाद लैंडिंग गियर ब्रेक को लगाया गया और रनवे पर व्हीकल को रोका गया। पुष्पक ने रनवे पर खुद को स्टेबल रखने के लिए रडर और नोज व्हील स्टेयरिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया।

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