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– पूर्व सचिव श्याम सिंह यादव के द्वारा रिश्तेदारों को बांटे गए भूखंड का आवंटन निरस्त, जीडीए को होगा 40 करोड़ का लाभ

विजय मिश्रा (उदय भूमि)
गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण(जीडीए) के पूर्व सचिव द्वारा रिश्तेदारों को मलाई की तरह बांटी गई भूखंडों के मामले में अब कार्रवाई का हंटर चला है। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने नियमों के विपरीत आवंटित गई भूखंडों का आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई की है। यह कार्रवाई जांच रिपोर्ट आने के बाद की गई है। जांच रिपोर्ट में सभी आवंटन को गलत तरीके से और मनमाने ढ़ंग से आवंटित करने की बात कही गई है। मामला वर्ष 2003-04 का है। जब इन भूखंडों का आवंटन किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक जीडीए के तत्कालीन सचिव श्याम सिंह ने अपने परिचितों और रिश्तेदारों को गाजियाबाद की पॉश कॉलोनी इंदिरापुरम में भूखंडों का आवंटन किया था। आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई से जीडीए को लगभग 40 करोड़ रुपये का लाभ होगा।

विदित हो कि इंदिरापुरम के इन 8 भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया की जांच पूरी करने में कमेटी को डेढ़ वर्ष का समय लगा। मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मेरठ मंडल की मंडलायुक्त एवं अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने भी पूर्व में इन 8 भूखंडों का आवंटन निरस्त किए जाने योग्य पाए जाने की बात कही हैं। कमेटी की जांच के दौरान गलत तरीके से भूखंड पाने वालों ने आपत्ति भी दर्ज कराई गई। लेकिन कमेटी ने सभी की आपत्तियों को खारिज किया था। जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि इंदिरापुरम के ज्ञान खंड-2 में 11/161 का धर्म सिंह यादव को तत्कालीन सचिव श्याम सिंह यादव ने पारिवारिक सदस्य होने के कारण विशेष भूखंड आवंटित करना व केवल अनियमित व अवैधानिक था। इसे अनाधिकृत लाभ पहुंचाने की चेष्टा भी माना गया। भूखंड संख्या-2 जीके-11/192 व जीके-11/194 व जीके-11/195 व जीके-11/196,11/197 व 11/200 व 11/193 के भूखंड को निरस्त किया गया है। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन होने के कारण न्यायालय को सभी तथ्यों से अवगत कराते हुए आगे की कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया हैं।

ज्ञात हो कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पार्षद और जीडीए बोर्ड के सदस्य रहे राजेंद्र त्यागी ने वर्ष-2003-04 में इंदिरापुरम के ज्ञानखंड में नियम विरुद्ध आवंटन की शिकायत की थी। वर्ष-2010 में पूर्व विधायक रवींद्र कुमार ने इस मामले को उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जीडीए के तत्कालीन सचिव श्याम सिंह यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे। इन पर आरोप था कि वर्ष-2003-04 में तत्कालीन जीडीए सचिव ने पद का दुरुपयोग कर अपने परिचितों व रिश्तेदारों के नाम भूखंड गलत तरीके से आवंटित किए थे। उस वक्त जीडीए के तत्कालीन सचिव श्याम सिंह यादव के पास 200 वर्गमीटर तक के भूखंड आवंटन करने का अधिकार था। श्याम सिंह सपा सरकार में बहुत करीबी थे। इसका उन्होनं खूब लाभ उठाया और पद का दुरुपयोग किया। रिश्तेदारों व परिचितों को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया। भूखंडों के आवंटन की फाइलें  खंगालने पर पता चला कि धर्म सिंह यादव को रचना वैशाली में आवंटित एचआईजी फ्लैट के स्थान पर ज्ञानखंड-2 में भूखंड संख्या-161 धर्म सिंह यादव, तत्कालीन सचिव श्याम सिंह यादव की पत्नी पुष्पा यादव को एलआईजी फ्लैट के स्थान पर भूखंड संख्या-11/192,भूखंड संख्या-11/193 व भूखंड संख्या-11/194 हस्तिानापुरम योजना के स्थान पर सरला यादव को आवंटित किया गया।

इसकी फर्जी पावर ऑफ अटार्नी होने के कारण मंडलायुक्त की जांच में आवंटन निरस्त किया गया। इसके अलावा 11/195 भूखंड राजेश भारद्वाज,11/196 सुरेंद्र कुमार जुनेजा के स्थान पर राजेश के नाम पर आवंटित। 11/197 कपूर्रीपुरम योजना के बाद 14 वर्ष के उपरांत परिवर्तन कराने, भूखंड संख्या-200 श्याम सिंह के भाई गोपीचंद को एलआईजी फ्लैट के स्थान पर आवंटन, संजय कुमार को कपूर्रीपुरम के फ्लैट के स्थान पर भूखंड संख्या-197 का आवंटन किया गया। इन सभी 8 भूखंडों को निरस्त कर दिया गया। यह सभी भूखंड इंदिरापुरम योजना के ज्ञानखंड-2 में ही सड़क फेसिंग में आवंटित किए गए। वहीं हस्तिनापुर योजना,जो निरस्त हो गई थी, उसके आवेदक संजय कुमार जुनेजा को पावर ऑफ अटार्नी के जरिए और कमलजीत कौर, अंजू मेहता व मिथलेश कुमार को भी उक्त योजना में भूखंड आवंटित किए। पूर्व विधायक की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए जनवरी-2023 के पहले सप्ताह में इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का हलफनामा तलब किया था। इसके बाद ही इस प्रकरण को लेकर पुरानी फाइलें खंगालकर जांच पड़ताल शुरू हुई थी। जीडीए की तरफ  से मामले में पैरवी न किए जाने के चलते हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था। इसके बाद जीडीए अधिकारियों के होश उड़ गए थे। तभी से इन भूखंडों का मामला चर्चा बन गया था। इसके बाद इनकी जांच शुरू की गई थी। अब इसमें कड़ी कार्रवाई की गई है।




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