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प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार धर्मवीर भारती की कहानी ‘बंद गली का आखिरी मकान’ अपने समय की बेहद चर्चित कहानी है. इस कहानी का राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया जा रहा है. इस कहानी को नाटक के रूप में बदला है प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेंद्र राज अंकुर ने. खास बात ये है कि इस नाटक को एक ही समय में दो अलग-अलग अंदाज में प्रस्तुत किया जाएगा. एक नाटक को दो रूपों में प्रस्तुत करने जैसा अनूठा प्रयोग पहली बार किया जा रहा है.

एनएसडी रंगमंडल के प्रमुख राजेश सिंह ने बताया कि रंगमंडल की टीम को दो मंडलियों में बांटा गया है. कहानी एक है लेकिन दोनों प्रस्तुतियों एकदम अलग हैं. दोनों ही नाटकों की स्टेज प्रस्तुति, लाइट डिजाइनिंग, कॉस्टयूम डिजाइनिंग और संगीत एकदम अलग-अलग हैं.

राजेश सिंह ने बताया कि एनएसडी रंगमंडल द्वारा यह अभिनव प्रयोग पहली बार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह प्रयोग थिएटर की दुनिया में आने वाले नए कलाकार और निर्देशकों के लिए अनूठा साबित होगा.

‘बंद गली का आखिरी मकान’ का मंचन एनएसडी परिसर में 26, 27 और 28 अप्रैल को किया जाएगा. एनएसडी के अभिमंच और सम्मुख सभागार में इनका मंचन होगा. सम्मुख सभागार में दोपहर बाद साढ़े तीन बजे और अभिमंच में शाम 6.30 बजे नाटक का मंचन होगा. 27 और 28 अप्रैल को शाम 7.15 बजे इनका अतिरिक्त प्रदर्शन किया जाएगा.

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इन नाटकों के ऑनलाइन टिकट बुकमाईशो (BookMyShow.Com) पर उपलब्ध हैं. नाटक के टिकटों की कीमत 100, 200 और 300 रुपये है. सम्मुख सभागार में मंचित होने वाले नाटक तथा शाम सवा सात बजे होने अतिरिक्त प्रदर्शन के टिकट की कीमत 200 रुपय रखी गई है.

धर्मवीर भारती
धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थें. वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक भी थे. धर्मवीर भारती का उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है. ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ पर श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी थी. धर्मवीर भारती का ‘अंधा युग’ प्रसिद्ध नाटक है. इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम. के. रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है. अब देवेंद्र राज अंकुर उनकी कहानी ‘बंद गली का आखिरी मकान’ को दो अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत कर रहे हैं.

Tags: Literature, Literature and Art

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