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Agriculture News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के रहने वाले किसान जे.पी मौर्य मौसंबी की खेती कर रहे है. इस समय उनके बगीचे में 325 पेड़ मौसंबी के लगे हुए है.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के रहने वाले किसान जे.पी मौर्य इस समय बागवानी पर अधिक जोर दे रहे हैं. कम लागत मेंअधिक मुनाफा बागवानी से कमाया जा सकता है. किसान जे.पी मौर्य ने बताया कि इस समय हमारे पास मुसम्मी के 325 पेड़ मुसम्मी के लगे हुए हैं. गर्मियों के मौसम बाजारों में अधिक डिमांड होती है. मुसम्मी, जिसे मौसंबी भी कहा जाता है. एक फल है जो नींबू प्रजाति का होता है. यह एक मीठा फल है जो गर्मी के दिनों में प्यास बुझाने के लिए बहुत उपयोगी है. मौसंबी में कई तरह के विटामिन और पोषक तत्व होते हैं, जैसे कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटैशियम और फास्फोरस होता है.

किसान ने जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य बनावट वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. बेहतर जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि भी इसके लिए आदर्श है. भूमि की गहराई 1.5 से 2 फीट होनी चाहिए और 5 फीट की गहराई तक कंकड़ बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इसके अलावा, मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

खेती करते समय इन बातों का रखें ध्यान
मौसंबी के पेड़ की रोपाई के 3 वर्ष बाद से फल प्राप्त करना शुरू हो जाता है, जबकि व्यवसायिक उत्पादन 5 वर्ष बाद ले सकते हैं. एक पौधे से 20 से 30 किलोग्राम फल प्राप्त होता है. बाजार में 30 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. मौसंबी के पौधों को स्थिर होने में 2 महीने का समय लगता है. इसलिए, पौधों की नियमित सिंचाई करनी चाहिए और हो सके तो ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें. ग्रीष्म ऋतु में पौधों को 5 से 10 दिन के अंतराल पर तथा सर्दियों में 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए. बारिश के दौरान पौधों की जड़ में पानी इकट्ठा न होने पाए, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए.

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