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PM Modi Cyprus Visit: प्रधानमंत्री मोदी कनाडा में जी-7 बैठक में भाग लेने जा रहे हैं. यहां दुनिया के ताकतवर लोकतांत्रिक देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. भारत को बतौर विशेष अतिथि एक बार फिर आमंत्रित किया गया है. मगर, जी-7 में भाग लेने से पहले प्रधानमंत्री मोदी दो देशों के कूटनीतिक यात्रा पर भी जा रहे हैं. इनके दौरे में एक देश साइप्रस तो दूसरा क्रोएशिया है. प्रधानमंत्री मोदी कनाडा जाने से पहले साइप्रस पहुंच चुके हैं. इस दौरे को पाकिस्तान समर्थक तुर्की को कड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल औपचारिक राजनयिक दौरा नहीं, बल्कि तुर्की और पाकिस्तान को साफ-साफ और कड़ा संदेश है. इस दौरे का दूसरे दिन आज यानी 16 जून को पीएम मोदी साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस ख्रिस्टोडूलिदीस के साथ द्विपक्षीय मुलाकात, प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता, औपचारिक स्वागत और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यस्त रहेंगे. इसके बाद वे कनाडा के लिए रवाना हो जाएंगे, जहां वे G7 सम्मेलन से इतर कई वैश्विक नेताओं से मिलेंगे.

साइप्रस क्यों है अहम?

साइप्रस, एक छोटा यूरोपीय देश होते हुए भी पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच में स्थित होने के कारण रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है. इसका उत्तरी हिस्सा 1974 से तुर्की के सैन्य कब्जे में है. उसे केवल तुर्की ही “Northern Cyprus Turkish Republic (NCTR)” के नाम से मान्यता देता है. दुनिया का बाकी कोई भी देश उसे वैध नहीं मानते हैं. पीएम मोदी ने जिस इलाके का दौरा किया है, वह ठीक उसी सीमा के नज़दीक है जहां से तुर्की ने कब्जा किया है. इससे साफ होता है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक साफ-साफ संदेश है.

भारत का साहसिक कदम

भारत ने पहली बार इतने खुले तरीके से किसी ऐसे देश का दौरा किया है. तुर्की के कब्जे वाले इलाका जो कि एक भू-राजनीतिक संघर्ष में है, वहां प्रधानमंत्री मोदी का पहुंचना साफ दिखाता है कि भारत अब ‘संतुलनकारी’ राजनीति नहीं करेगा. भारत अपनी सुरक्षा और हितों के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएगा.

तुर्की-पाक गठजोड़

तुर्की पिछले कुछ वर्षों से लगातार पाकिस्तान के साथ नज़दीकियां बढ़ा रहा है. कश्मीर को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत विरोधी बयान दिए हैं. इसके साथ-साथ तुर्की ने पाकिस्तान को Bayraktar TB2 जैसे ड्रोन, डिफेंस ट्रेनिंग और समुद्री सैन्य सहयोग भी उपलब्ध कराए हैं. 2020 में तुर्की ने अज़रबैजान‑आर्मीनिया युद्ध में अज़रबैजान का समर्थन किया था, साथ ही भारत के खिलाफ नैरेटिव भी तेज किया. मगर, पीएम मोदी का साइप्रस दौरा इस पूरे तुर्की-पाक नैरेटिव को तोड़ने का संकेत है. उन्होंने साफतौर पर स्पष्ट कर दिया है कि अब तुर्की को सीधे जवाब देने से नहीं कतराएंगे.

IMEC (India-Middle East-Europe Corridor) और साइप्रस की भूमिका

भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ, इजरायल, सऊदी अरब और UAE मिलकर IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर) को विकसित कर रहे हैं, जो चीन के Belt and Road Initiative का जवाब है. इस कॉरिडोर का एक संभावित समुद्री-लैंड लिंक साइप्रस से होकर भी जुड़ सकता है. PM मोदी का साइप्रस दौरा इस लिहाज़ से भी अहम है क्योंकि इससे भारत को पूर्वी भूमध्य सागर में रणनीतिक पहुंच मिलती है. यह तुर्की के प्रभाव क्षेत्र में एक प्रकार की सॉफ्ट एंट्री है.

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