चित्तू पांडेय चौराहे के पास बसाई गई नई मंडी
बलिया में ऐसी स्थिति कोई नई नहीं है. कई बार यह देखने को मिला है कि नगर पालिका जब सख्ती से दुकानों को हटाने की कोशिश करती है, तो भारी विरोध के कारण उसे पीछे हटना पड़ता है. उदाहरण के लिए, नपा के पूर्व चेयरमैन संजय उपाध्याय के कार्यकाल में गुदरी बाजार से सब्जी विक्रेताओं को हटाकर चित्तू पांडेय चौराहे के पास एक नई मंडी बसाई गई थी. वहां बैठने की व्यवस्था भी की गई, लेकिन कुछ समय बाद यहां से भी हटाने की बात आई, तो आंदोलन इतना तेज हुआ कि नगर पालिका को कदम पीछे खींचने पड़े.
इस जटिल समस्या पर स्थानीय लोगों की राय भी जाननी जरूरी है. कमलेश वर्मा, रजनीकांत सिंह, मंजय कुमार सिंह, केदारनाथ और संजय गुप्ता जैसे लोगों का कहना है कि बार-बार दुकानदारों को हटाकर दूसरी जगह बसाना कोई स्थायी हल नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि बलिया के बीचोंबीच बना लोहिया मार्केट ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है. करोड़ों रुपये खर्च कर करीब तीन दशक पहले यह मार्केट बनाया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.
इस मार्केट को करना होगा विकसित
अगर प्रशासन इस लोहिया मार्केट को आधुनिक मॉल की तरह विकसित कर दे, तो एक ही छत के नीचे सब्जी, फल, किराना, कपड़े और अन्य जरूरी सामान की दुकानें हों जाएंगी. इससे न सिर्फ सड़कें खाली होंगी, बल्कि दुकानदारों को भी स्थायी स्थान मिलेगा. इससे शहर में ट्रैफिक भी सुधरेगा और विकास की रफ्तार भी तेज होगी.
फिलहाल बलिया में राइस मंडी और गुड़ मंडी को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बदलने की योजना चल रही है, जो एक अच्छी पहल है. लेकिन जब तक वह बनकर तैयार नहीं होती, तब तक लोहिया मार्केट को सुधारकर वहां दुकानदारों को शिफ्ट किया जा सकता है. इस मार्केट में करीब 300 दुकानें हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है.
लोहिया मार्केट में हुआ है भ्रष्टाचार
स्थानीय लोगों का आरोप है कि लोहिया मार्केट में भ्रष्टाचार भी हुआ है. ऐसे में अगर जांच की जाए तो दोषियों को सजा भी मिल सकती है. लेकिन सबसे ज़रूरी है कि प्रशासन इस पूरे मामले को एक रोज़गार और जीवनयापन के नज़रिए से देखे. सिर्फ अतिक्रमण हटाने से नहीं, बल्कि वैकल्पिक समाधान देने से ही शहर में संतुलन बन पाएगा.
बलिया की सड़कों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासन को अब कड़े और सोच-समझकर लिए गए फैसले लेने होंगे, ताकि विकास और रोजगार दोनों साथ-साथ चलें.
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