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बुलंदशहर: बुलंदशहर जिले के लखावटी कस्बे में शनिवार का दिन किसी चमत्कार से कम नहीं रहा. यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में एक महिला ने एक साथ तीन बेटियों को जन्म दिया, जिससे अस्पताल से लेकर पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया.

दरअसल, जब लखावटी की रहने वाली रीता नाम की महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे आनन-फानन में सीएचसी लेकर पहुंचे. डॉक्टर्स ने तुरंत उसे भर्ती कर लिया और सामान्य डिलीवरी की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन जैसे ही डिलीवरी हुई, एक नहीं…दो नहीं…बल्कि तीन बच्चियों की किलकारी गूंजी. इसे देखकर डॉक्टर से लेकर अस्पताल के स्टाफ तक सभी हैरान रह गए. लेकिन राहत की बात यह है कि मां और तीनों बच्चियां पूरी तरह स्वस्थ हैं.

तीनों नवजात बच्चियों को देखकर भावुक हुए पिता
रीता पहले से ही दो बेटियों की मां हैं और अब घर में तीन और बेटियों की आवाज गूंजने वाली है. बच्चियों के पिता सोनू मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा करते हैं. वह अपनी पत्नी और तीनों नवजात बच्चियों को देखकर भावुक हो उठे. सोनू ने कहा, “भगवान ने हमें एक नहीं, तीन बेटियों का तोहफा दिया है. इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है.”

वहीं, परिजन भी खुशी से फूले नहीं समा रहे. अस्पताल में मौजूद हर शख्स रीता और उसके परिवार को बधाई दे रहा है. कुछ लोगों ने तो बच्चियों के नाम तक सुझा दिए, सरिता, कविता और वंदना!

हॉस्पिटल के डॉक्टर ने दी प्रतिक्रिया
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया, “एक साथ तीन बच्चों का जन्म सामान्य तौर पर बहुत कम मामलों में देखने को मिलता है और यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि प्रसव से पहले अल्ट्रासाउंड में यह अनुमान तो था कि एक से ज्यादा बच्चे हो सकते हैं, लेकिन तीन होंगी, इसका यकीन उन्हें भी नहीं था.”

इलाके में यह खबर आग की तरह फैल गई. आसपास के गांवों से लोग महिला और बच्चियों को देखने अस्पताल पहुंचने लगे. कुछ लोग मिठाई लेकर पहुंचे, तो कुछ ने नवजातों के माथे पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया. रीता की सास ने हंसते हुए कहा, “हमारे घर में अब पांच- पांच बेटियां हैं. ये तो लक्ष्मी का रूप हैं. भगवान ने हमें भर- भर के दिया है.”

बेटियों को लेकर सोच बदलने की जरुरत
गौरतलब है कि ग्रामीण इलाकों में अब भी बेटियों को लेकर सोच में बदलाव की जरूरत है, लेकिन रीता और सोनू जैसे माता-पिता बेटियों को भगवान का आशीर्वाद मानते हैं. यह घटना एक सकारात्मक संदेश भी देती है कि अगर बेटियों को प्यार और सम्मान मिले, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आना तय है.

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