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Tejashwi Yadav News: तेजस्वाी यादव ने बिहार चुनाव से पहले गड़ेरिया समाज को साधने की कोशिश की है. गड़ेरिया समाज का वोट बैंक आरजेडी के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है? तेजस्वी ने इस समाज को क्यों साधने की कोशिश क…और पढ़ें

तेजस्वी के तबेले में भैंस के बाद भेड़ शामिल... इस जाति की क्यों पकड़ ली रस्सी?बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने क्यों पकड़ी भेड़ की रस्सी?

हाइलाइट्स

  • बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी ने गड़ेरिया समाज को साधने की कोशिश की.
  • गड़ेरिया समाज का वोट बैंक आरजेडी के लिए कितना महत्वपूर्ण?
  • गड़ेरिया समाज ने तेजस्वी को भेड़ गिफ्ट किया.

पटना. बिहार चुनाव से ठीक पहले आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने नया सियासी दांव खेल दिया है. तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव से पहले गड़ेरिया समाज के वोट बैंक पर नजर पड़ गई है. गड़ेरिया जाति आरजेडी के लिए एक नया राजनीतिक हथियार बन सकती है. हालांकि इनकी संख्या कम है, लेकिन इनका एकजुट वोट बैंक पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. शनिवार को तेजस्वी यादव का पटना में गड़ेरिया समाज से जुड़ाव इस बात का संकेत है कि आरजेडी आगामी चुनावों में जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार कर रही है. शायद इसलिए लालू यादव के तबेले में अब गाय-भैंस के बाद तेजस्वी यादव ने भेड़ को भी शामिल कर लिया है.

बिहार की 2023 की जातिगत जनगणना के अनुसार गड़ेरिया जो पाल और बघेल जैसे उप-जातियों से संबंधित हैं, की आबादी राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 2.31% है. बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ के आसपास है, जिसके हिसाब से गड़ेरिया समाज की जनसंख्या करीब 30 लाख के करीब बैठती है. यह आंकड़ा भले ही यादव (14.26%) या मुस्लिम (17.7%) जैसे बड़े वोट बैंक के मुकाबले छोटा लगे, लेकिन बिहार की टाइट चुनावी जंग में यह समाज कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है. इसलिए शनिवार को इस जाति के सम्मेलन में तेजस्वी यादव को एक भेड़ गिफ्ट किया गया है. अब तेजस्वी यादव को भेंट किए गए इस भेड़ को लालू के तबेले में गाय और भैंस के साथ रस्सी में बांधकर रखा जाएगा.

तेजस्वी का गड़ेरिया कार्ड
गड़ेरिया समाज की अच्छी-खासी मौजूदगी बिहार के ग्रामीण इलाकों में है. इस जाति का वोट बैंक किसी भी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. तेजस्वी यादव ने गड़ेरिया समाज की रैली में शामिल होकर साफ संदेश दिया है कि वह हर छोटे-बड़े जातिगत समूह को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. रैली में उन्होंने गड़ेरिया समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के वादे किए गए. तेजस्वी यादव ने इस मौके पर कहा, ‘गड़ेरिया समाज मेहनतकश और आत्मनिर्भर है, लेकिन इसे वह सम्मान और अवसर नहीं मिले, जिसका यह हकदार है. हमारी सरकार बनी तो इस समाज के लिए विशेष योजनाएं लाएंगे.’

वोट प्रतिशत और सियासी प्रभाव
तेजस्वी का यह कदम न केवल गड़ेरिया समाज को लुभाने की कोशिश है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आरजेडी अब यादव-मुस्लिम (MY) समीकरण से आगे बढ़कर व्यापक OBC गठजोड़ बनाने की दिशा में काम कर रहा है. बिहार में गड़ेरिया समाज का वोट प्रतिशत 2 से 3 प्रतिशत के आसपास अनुमानित है. इसका प्रभाव मगध, कोसी और सीमांचल जैसे क्षेत्रों में ज्यादा है. 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में, जहां कई बार 5,000-10,000 वोटों से हार-जीत तय होती है, गड़ेरिया समाज का एकजुट वोट किसी भी पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है. अगर आरजेडी इस समाज को अपने पाले में लाने में कामयाब हो जाता है तो यह उनके लिए 10-15 सीटों पर निर्णायक साबित हो सकता है.

तेजस्वी की रणनीति साफ है कि वह गड़ेरिया समाज को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि आरजेडी उनकी आवाज बनेगा. लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं. गड़ेरिया समाज पारंपरिक रूप से कुछ क्षेत्रों में जेडीयू और बीजेपी के साथ भी जुड़ा रहा है. नीतीश कुमार की सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जिसमें गड़ेरिया समाज भी शामिल है. इसके अलावा, बीजेपी भी OBC वोटों को साधने के लिए रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात कर रही है, जो गड़ेरिया जैसे छोटे OBC समूहों को प्रभावित कर सकता है.

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तेजस्वी के तबेले में भैंस के बाद भेड़ शामिल… इस जाति की क्यों पकड़ ली रस्सी?

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