वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर विरोध तेज है. स्थानीय महिला मंजू अग्रवाल ने भावुक बयान में कहा कि ठाकुर जी उनके बच्चों संग खेले हैं, ऐसे में मंदिर से दूरी असहनीय है.
- बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर विरोध तेज है.
- स्थानीय लोग परंपरा और आस्था की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
- मंजू अग्रवाल ने ठाकुर जी से जुड़ी भावनाओं को साझा किया.
मथुरा- वृंदावन में बन रहे ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर जहां सरकारी योजनाओं का शोर है, वहीं श्रद्धा से जुड़ी भावनाएं आहत होती नजर आ रही हैं. कॉरिडोर की योजना से जहां कई मकान और दुकानें प्रभावित हो रही हैं, वहीं स्थानीय लोगों में विरोध की लहर भी तेज होती जा रही है.
बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र में कॉरिडोर निर्माण को लेकर गोस्वामी समाज, संत समुदाय और स्थानीय नागरिक लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह योजना न केवल परंपरा और आस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि हजारों लोगों को उनके पुरखों की विरासत और ठाकुर जी की निकटता से भी दूर कर देगी.
‘ठाकुर जी हमारे साथ पले-बढ़े’
कॉरिडोर बनने से प्रभावित एक स्थानीय महिला मंजू अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए ऐसा खुलासा किया, जिसने सबको भावुक कर दिया. मंजू ने कहा, ‘ठाकुर बांके बिहारी हमारे बच्चों के साथ खेले हैं. वे सिर्फ भगवान नहीं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं. हम उस नगरी को कैसे छोड़ सकते हैं, जहां हमारे ठाकुर जी रहते हैं?’
मंजू अग्रवाल का यह भी कहना है कि बांके बिहारी जी बच्चे के समान हैं, वे सभी भक्तों के जीवन में घुल-मिल गए हैं. अगर उन्हें हमसे दूर कर दिया गया, तो हमारा जीवन अधूरा हो जाएगा. यह कॉरिडोर हमें सुविधाएं दे सकता है, ठाकुर जी की नजदीकी नहीं लौटा सकता.
स्मृति जिसने द्वापर युग की झलक दिखा दी
मंजू की बातें सुनकर ऐसा लगा जैसे द्वापर युग फिर जीवंत हो उठा हो. उनकी बातों में सिर्फ भावनाएं ही नहीं, बल्कि इतिहास और भक्ति की गहराई भी साफ झलकती है. यह बयान सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि उस जुड़ाव की कहानी है, जो ठाकुर जी और वृंदावनवासियों के बीच पीढ़ियों से रहा है.
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