Israel Iran War: सैनिकों की ताकत, नंबर गेम में कौन आगे?
इजरायल की सेना: इजरायल के पास 1.7 लाख एक्टिव सैनिक हैं और 4.65 लाख रिजर्व सैनिक तैयार हैं यानी कुल 6.35 लाख बल है. नंबर के मामले में ईरान का पलड़ा भारी है, लेकिन जंग सिर्फ नंबर से नहीं जीती जाती.
हवाई ताकत: आसमान में कौन भारी?
अब बात इजरायल की वायुसेना की.इजरायल के पास 612 विमान हैं,जिनमें 240 लड़ाकू जेट्स (F-35 जैसे एडवांस्ड जेट्स)और 48 अटैक हेलिकॉप्टर शामिल हैं.इजरायल का आयरन डोम सिस्टम मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में माहिर है.आज सुबह ईरान के 100 ड्रोन्स को इजरायल ने सीमा पर ही रोक लिया.
ईरान की वायुसेना: ईरान के पास 551 विमान हैं, जिनमें 186 लड़ाकू जेट्स और 13 अटैक हेलिकॉप्टर हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर पुराने मॉडल हैं.ईरान ड्रोन हमलों और रॉकेट्स पर ज्यादा भरोसा करता है. टेक्नोलॉजी और रणनीति में इजरायल की हवाई ताकत कहीं आगे है.
नौसेना: समंदर में किसका राज?
इजरायल की नौसेना: इजरायल के पास 62 जहाज हैं,जिसमें 5 सबमरीन हैं, लेकिन इजरायल की नौसेना टेक्नोलॉजी और रणनीति में ज्यादा मजबूत है. जहाजों की संख्या में ईरान आगे है, लेकिन टेक्नोलॉजी और रणनीति में इजरायल आगे है.
Israel Iraq War: कौन कितना खर्च करता है?
ईरान का रक्षा बजट करीब 15 बिलियन डॉलर है यानी GDP का 2.5%. वहीं इजरायल का बजट 30 बिलियन डॉलर है यानी GDP का 5.8%. यानी इजरायल अपनी ताकत पर ज्यादा खर्च करता है.इजरायल के पास आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एररो मिसाइल सिस्टम जैसे हाई-टेक डिफेंस सिस्टम है. इजरायल को परमाणु हथियारों की क्षमता भी मानी जाती है.ईरान की ताकत उसकी मिसाइलें और शाहेद ड्रोन फ्लीट में है.ईरान की मिसाइलों की रेंज 2000 किमी तक है, लेकिन इजरायल के डिफेंस सिस्टम के सामने ये कमजोर पड़ते हैं.बजट और टेक्नोलॉजी में इजरायल कहीं आगे है.
डायरेक्ट अटैक vs प्रॉक्सी वॉर
ग्लोबल सपोर्ट किसके साथ?
इजरायल को अमेरिका का पूरा सपोर्ट है.अमेरिका उसे हथियार और टेक्नोलॉजी देता है.ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की मार है, लेकिन वो रूस और चीन के साथ रिश्ते बनाकर संतुलन करने की कोशिश कर रहा है.ग्लोबल सपोर्ट में इजरायल का पलड़ा भारी है.
कौन जीतेगा?
भारत पर क्या होगा असर?
ईरान और इजरायल की जंग सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है.इसका असर पूरी दुनिया खासकर भारत पर भी पड़ सकता है.इस जंग से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ेगा और सऊदी अरब जैसे देश भी इसमें कूद सकते हैं.
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