Crude Oil Impact : इजराइल और ईरान में युद्ध शुरू होने के साथ ही मिडिल ईस्ट का तनाव अब चरम पर पहुंच गया है, जिसका सीधा असर तेल की कीमतों पर दिख रहा. क्रूड का भाव बढ़ने से भारत पर क्या असर हो सकता है.
हाइलाइट्स
- मिडिल ईस्ट तनाव से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं
- भारत का आयात बिल और महंगाई दर बढ़ सकती है
- भारत ने तेल आयात स्रोतों में विविधता लाई
नई दिल्ली. अभी तक हमास के साथ युद्ध में उलझे इजराइल ने अपनी मिसाइलों का रुख अब ईरान की तरफ कर दिया है. राजधानी तेहरान में मिसाइल हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिखा और महज दो दिनों के भीतर ब्रेंट क्रूड का भाव 10 डॉलर (करीब 850 रुपये) बढ़कर 75 डॉलर प्रति डॉलर पहुंच गया है. जाहिर है कि इसका भारत जैसे देशों पर बड़ा असर दिखेगा, जो अपनी ईंधन की जरूरतों के लिए 85 फीसदी तक आयात पर निर्भर हैं.
भारत पर क्या असर होगा
- महंगाई में वृद्धि : कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर/बैरल की वृद्धि से भारत में महंगाई दर 0.5% तक बढ़ सकती है. इससे पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका असर आम आदमी के बजट पर पड़ेगा. परिवहन और उत्पादन लागत बढ़ने से खाद्य पदार्थों और अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़ सकते हैं.
- आयात बिल में बढ़ोतरी : तेल की कीमतों में उछाल से भारत का आयात बिल बढ़ेगा, जिससे चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ सकता है. रुपये की कमजोरी इस समस्या को और गहरा सकती है, क्योंकि तेल आयात डॉलर में किया जाता है.
- रुपये पर दबाव : तेल की ऊंची कीमतों और बढ़ते आयात बिल के कारण विदेशी मुद्रा की मांग बढ़ेगी, जिससे रुपये में गिरावट आएगी. इससे क्रूड ही नहीं आयात की जाने वाली अन्य चीजें भी महंगी होंगी.
- आर्थिक विकास पर असर : तेल की कीमतों में वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन और परिवहन लागत बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं. इसका असर जीडीपी की ग्रोथ पर भी दिखेगा.
- शेयर बाजार में अस्थिरता : मिडिल ईस्ट में तनाव से वैश्विक और भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा सकती है, जैसा कि अक्टूबर 2024 में ईरान-इजरायल तनाव के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 1,769 और 546 अंकों की गिरावट के साथ दिखा था.
- नौकरियों और कमाई पर प्रभाव : महंगाई बढ़ने से उपभोक्ता खर्च घट सकता है, जिससे कंपनियां छंटनी कर सकती हैं या वेतन वृद्धि और प्रमोशन में देरी हो सकती है. ऑटो, रियल एस्टेट और बैंकिंग जैसे क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
भारत ने तेल आयात स्रोतों में विविधता लाकर जोखिम कम किया है. वर्तमान में 40 देशों से आयात होता है, जिसमें रूस (30%) और ब्राजील, गुयाना जैसे नए स्रोत शामिल हैं. सरकार कच्चे तेल के भंडार को बढ़ा रही है और विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है, जो आर्थिक स्थिरता में मदद करेगा.
बायोफ्यूल ब्लेंडिंग (20%) और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे हरित ऊर्जा विकल्पों पर ध्यान से तेल निर्भरता कम हो रही है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी आश्वासन दिया है कि वैश्विक तनाव के बावजूद तेल कीमतें और आपूर्ति स्थिर रहेगी.
किन देशों से क्रूड खरीदता है भारत
- रूस : भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता, जो कुल आयात का 35-40% हिस्सा प्रदान करता है. साल 2024 में रूस से लगभग 17 लाख बैरल क्रूड प्रतिदिन आयात किया गया.
- इराक : भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो कुल आयात का 20-22% हिस्सा देता है. इराक से लगभग 10 लाख bpd क्रूड का आयात होता है.
- सऊदी अरब : तीसरे स्थान पर, जिसकी कुल आयात में हिस्सेदारी 15-18% और यहां से लगभग 8 लाख bpd तेल आता है.
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) : कुल आयात का 10-12% देता है, जो लगभग 3 से 4 लाख bpd है. 2023-24 में UAE से 64 लाख टन तेल आयात किया गया.
- वेनेजुएला : 2024 में भारत ने वेनेजुएला से 2.2 करोड़ बैरल (लगभग 2.5 लाखbpd) क्रूड आयात किया, जो कुल आयात का 5-7% है. हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के कारण यहां से आयात रोक दिया है.
- नाइजीरिया : कुल आयात का 5-6%, लगभग 20 लाख bpd. साल 2019 में नाइजीरिया तीसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा था.
अमेरिका : भारत का आयात तेजी से बढ़ रहा है, विशेष रूप से 2017 के बाद. 2023-24 में अमेरिका से 2 लाख bpd आयात हुआ, जो कुल आयात का 4-5% है. - अन्य देश : कुवैत, मैक्सिको, ब्राजील और गुयाना जैसे देश भी भारत को तेल आपूर्ति करते हैं, जो कुल आयात का 10-15% हिस्सा बनाते हैं. 2023-24 में कुवैत से 42 लाख टन और मैक्सिको से 33 लाख टन तेल आयात हुआ. भारत की कुल कच्चे तेल की मांग 2024 में लगभग 50 लाख bpd रही.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें
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