लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला कल (11 जून) शाम 5:30 बजे अमेरिका से अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने से पहले शुभांशु ने रविवार को फुल ड्रेस फाइनल रिहर्सल की। इसमें असेंबली बिल्डिंग से रॉकेट तक जाने और उसमें बैठने के प्रोसेस
बेटा अंतरिक्ष में जा रहा है तो घरवालों के मन में क्या कुछ चल रहा है यह जानने दैनिक भास्कर की टीम पहुंची एस्ट्रोनॉट शुभांशु के घर। अलीगंज के त्रिवेणीनगर स्थित उनके घर की गलियों को भी प्राउड शुभांशु के बैनर-होर्डिंग से सजा दिया गया है।
तिरंगे और एयरफोर्स की थीम पर लगे बैनर पर कई मैसेज लिखे हैं। उनके घर के अंदर आदमकद कटआउट लगा है। घर में एस्ट्रोनॉट के माता-पिता से मिलने वालों का आना-जाना लगा हुआ है। पिता और मां एक ही सोफे पर बैठे हैं।
बगल के सोफे पर दोनों बड़ी बहनें हैं। पिता और दीदियों के चेहरे पर फख्र झलक रहा है तो मां इमोशनल हैं। बातचीत शुरू हुई तो पिता एसडी शुक्ला ने कहा- इस अंतरिक्ष यात्रा के लिए बेटे से ज्यादा हम एक्साइटेड हैं।
मां से पूछा कि उनके मन में क्या चल रहा है तो उन्होंने कहा- सोमवार को सत्यनारायण व्रत की कथा सुनी। मंगलवार को बजरंगबली की पूजा करेंगे। प्रसाद बांटेंगे। उन्हीं की कृपा से बेटे और मिशन के लिए सब अच्छा होगा। बहनों ने एस्ट्रोनॉट शुभांशु के बचपन के कुछ जबरदस्त कहानियां सुनाईं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
पहले शुभांशु के घर और मोहल्ले की कुछ तस्वीरें देखिए…
शुभांशु के घर के अंदर उनका कटआउट लगा दिया गया है। आज शुभांशु के माता-पिता उषा शुक्ला और एसडी शुक्ला काफी इमोशनल हैं।
शुभांशु के घर की दीवारों, छज्जा, खिड़कियों के आकार के बैनर, होर्डिंग बनवाई गई हैं। इन सबमें उनके लिए बेस्ट विशेज लिखी हैं।
शुभांशु के कटआउट के साथ बहन और माता-पिता ने फोटो खिंचवाई।
दीवारों पर वी विश यू ऑल द बेस्ट के बैनर लगाए गए हैं।
लखनऊ के त्रिवेणी नगर की दीवारों पर बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगाई गई हैं।
मोहल्ले की गाड़ियों पर शुभांशु के लिए स्टीकर लगाए गए हैं। स्टीकर पर लिखा है- India’s First Astronaut to ISS Shubhanshu Shukla।
अब माता-पिता और बहनों ने जो कहा, उसे पढ़िए
बचपन से ही शांत, स्थिर और गहराई वाला… अब उसे दुनिया देख रही
शुभांशु के पिता एसडी शुक्ला बेहद शांत लेकिन भीतर से गर्व और उत्साह से भरे हुए दिखे। उन्होंने बताया कि, “हम कल ही बात कर रहे थे शुभांशु से। वो बहुत सामान्य ढंग से बात करता है—जैसे कुछ बड़ा हो ही नहीं रहा हो। बेटा मिशन से जुड़ी बारीक बातें साझा नहीं करता।
“शुभांशु कहता है अभी ध्यान भटकाना ठीक नहीं है, नासा के नियम हैं, इसलिए हम भी कुछ ज्यादा नहीं पूछते। वह जो भी करता है, बहुत सोच-समझकर करता है। शायद इसी शांति ने उसे यहां तक पहुंचाया है।”
पिता ने बताया- “शुभांशु को अध्यात्म से गहरा लगाव है। ईश्वर में उसकी गहरी आस्था है। जब भी समय मिलता है, तो वह गीता जरूर पढ़ता है। उसकी ये आदत नासा में ट्रेनिंग के दौरान भी कायम है।”
हम आज बड़े मंगल के दिन मंदिर भी जा रहे हैं। हनुमान जी को भोग चढ़ाएंगे और सुंदरकांड का पाठ करेंगे। ये हमारी श्रद्धा है और भगवान बजरंगबली पर भरोसा है कि शुभांशु सुरक्षित लौटेगा।
पिता एसडी शुक्ला कहते हैं कि हम इसलिए एक्साइटेड हैं कि बेटे की मेहनत सफल होने वाली है। बजरंगबली की कृपा से सब अच्छा होगा।
मिशन की सफलता के लिए सुंदरकांड का पाठ करेंगे : मां आशा शुक्ला
शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला बेटे की इस ऐतिहासिक उड़ान को लेकर बहुत भावुक हैं। उन्होंने बातचीत में बताया- “जबसे पता चला कि शुभांशु अंतरिक्ष में जाने वाला है, खुशी और डर दोनों साथ-साथ चल रहे हैं। एक तरफ मन बहुत गर्व से भर जाता है कि हमारा बेटा पूरे देश का नाम रोशन कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक मां का दिल भी है… जो बार-बार घबरा जाता है।”
आशा शुक्ला ने बताया कि उन्होंने शुभांशु की सलामती और सफलता के लिए सोमवार को सत्यनारायण भगवान की कथा रखवाई। “रिश्तेदार, पड़ोसी सभी आए, सबने उसके लिए शुभकामनाएं दीं, आशीर्वाद दिया। बहुत लोग दुआएं दे रहे हैं। बेटे के लिए आज सुंदरकांड का पाठ करने मंदिर जा रहे हैं। हनुमानजी की कृपा से सब अच्छा होगा।”
मां बताती हैं कि जब बेटे से बात होती है, तो वह बस हालचाल पूछता है, “वो मिशन के बारे में ज्यादा नहीं बताता, शायद हमें परेशान नहीं करना चाहता। लेकिन एक मां सब महसूस कर लेती है। उसके चेहरे की आवाज़ तक से मैं जान जाती हूं कि वो किस स्थिति में है।”
मां आशा शुक्ला ने कहा कि मंगलवार को बजरंगबली को भोग लगाएंगे, सबको प्रसाद बांटेंगे।
वह छोटा था, पर बड़ा बनकर रहा : बड़ी बहन निधि
शुभांशु की बड़ी बहन निधि मिश्रा ने अपने भाई को याद करते हुए बहुत सारी पुरानी बातें साझा कीं। बोलीं- “जब वह एनडीए गया था, तब उसकी उम्र सिर्फ 16-17 साल रही होगी। लेकिन तभी हमें लगा कि अब वो बच्चा नहीं रहा। उसके व्यवहार में इतनी परिपक्वता आ गई थी कि हमें खुद महसूस हुआ- ये अब लड़का नहीं, एक सच्चा जेंटलमैन बन चुका है।”
हमारे घर में हम दोनों बहनों में झगड़े होते थे, लेकिन शुभांशु हमेशा बीच में समझौता कराने वाला रहता था। हम उसे जो भी बोलते थे, वही करता था। कभी विरोध नहीं किया। छोटा भाई है तो हमने उससे खूब काम करवाए। कभी सामान लाने भेजा, कभी दरवाजे पर ‘सिक्योरिटी गार्ड’ बनाकर खड़ा करा दिया। उसने कभी विरोध नहीं किया। बस मुस्कराकर सब कर देता था।
शुभांशु की बड़ी बहन निधि ने कहा- शुभांशु हमारे बच्चों से फोन पर उनकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछता है।
फोन करता है तो बच्चों से सवाल करता है
निधि बताती हैं कि अब भी जब शुभांशु फोन करता है, तो सभी घरवालों से बात करता है। वह सबसे जुड़ा हुआ है। बच्चों को करियर के बारे में गाइड करता है। मामा का फोन आता है तो हमारे बच्चे बचने लगते हैं कि कहीं मामा कुछ पूछ न लें।
फोन पर हमें मोटिवेट करता है। खुद भी हमेशा स्थिर रहता है।मैंने कभी नहीं देखा कि वह तनाव में हो। शुभांशु से फोन पर बात होती है। देता है कि अभी कोई डिस्टर्ब करने वाली बात मत करो, मैं मिशन पर फोकस रहना चाहता हूं। मैं कभी मजाक में पूछ लेती हूं- ‘तुम्हारा बीपी तो नहीं बढ़ रहा’, तो हंस देता है और कहता है, ‘मैं नॉर्मल हूं।’ उसके लिए जैसे रोज का काम हो रहा हो।
अब शुभांशु के मिशन का अपडेट जानिए
लिफ्टऑफ की डेट तीसरी बार टली
इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला कल यानी 11 जून को शाम 5:30 बजे अंतरिक्ष की ओर रवाना (लिफ्टऑफ) होंगे। यह मिशन नासा और Axiom Space का साझा मिशन है, जिसका नाम है Axiom-4। पहले इसकी 29 मई को थी। उसके बाद यह तारीख 8 जून तय की गई। खराब मौसम के कारण डेट बढ़कर 10 जून की गई। अब तारीख 11 जून तय की गई। यह तीसरी बार है जब मिशन की डेट आगे बढ़ी है।
शुभांशु इस मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाएंगे और वहां 14 दिन तक रहेंगे। वह भारत के दूसरे ऐसे व्यक्ति होंगे जो किसी निजी अंतरिक्ष मिशन के तहत स्पेस स्टेशन तक पहुंचेंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे।
तस्वीर में मिशन के चारों एस्ट्रोनॉट हैं। रविवार को पूरी टीम ने फुल ड्रेस फाइन रिहर्सल की।
अब शुभांशु शुक्ला की प्रोफाइल
लखनऊ में जन्मे और पढ़ाई करने वाले शुभांशु शुक्ला इस समय इंडियन एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन हैं। पिछले 3 महीनों से वह अमेरिका में नासा की ट्रेनिंग का हिस्सा हैं। उनका परिवार इस ऐतिहासिक पल से पहले बेहद भावुक है।
भास्कर टीम से विशेष बातचीत में मां, बहन और पिता की आंखों में बेटे की सफलता का गर्व और उनकी यात्रा को लेकर चिंता झलकी। बहनें बचपन के किस्से बताते नहीं थकीं और मां खुश होने के साथ बार-बार इमोशनल होती रहीं।
…और अंत में मिशन के बारे में
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