Aligarh Famous Mithai: अलीगढ़ में यूं तो बहुत सी मिठाइयां फेमस हैं लेकिन यहां की सालों पुरानी चमचम की बात ही अलग है जो अब शहर की पहचान बन चुकी है. इसे बनाने में घी-तेल का इस्तेमाल नहीं होता लेकिन स्वाद लाजवाब ह…और पढ़ें
अलीगढ़ शहर में चमचम की धूम, स्वाद ऐसा जबरदस्त कि हर दिन 15 क्विंटल की बिक्री
- अलीगढ़ की मशहूर चमचम बिना घी-तेल के बनती है.
- चमचम की रोजाना 10-15 क्विंटल बिक्री होती है.
- चमचम की शुरुआत 1944 में हुई थी, अब तीसरी पीढ़ी बेच रही है.
अलीगढ़. अगर आप भी मीठा खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके ही लिए है. आज हम आपको एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे खाने के लिए लोग हमेशा उत्सुक रहते हैं. हम बात कर रहे हैं अलीगढ़ के इगलास की मशहूर चमचम की. इस मिठाई की खासियत ऐसी है कि सरकार भी इसको जीआई टैग की सूची में शामिल कर चुकी है. जानते हैं इस बारे में डिटेल में.
दूसरे राज्यों से आती है डिमांड
अलीगढ़ के इगलास की मशहूर चमचम की मिठास की बात ही कुछ और है. स्वाद ऐसा कि एक बार खाएं तो बार-बार खाने को मन ललचाए. अलीगढ़ के कस्बा इगलास की चमचम उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों सहित विदेशों तक मशहूर है. इगलास की चमचम की मिठास लेने के लिए भारत के अलावा लोग विदेशों से भी ऑनलाइन डिलीवरी के जरिए इसे मंगाते हैं. इगलास की यह मिठाई प्रदेश में एक खास पहचान रखती है.
बहुत पुरानी है ये मिठाई
अलीगढ़ के कस्बा इगलास की चमचम की शुरुआत 1944 में हुई थी. उस समय एक पीस का रेट करीब 25 पैसे हुआ करता था, जबकि आज चमचम की कीमत बढ़कर ₹11 प्रति पीस हो चुकी है. चमचम का एक किलो का पैकेट ₹220 का मिलता है. वैसे तो यह इगलास के अलावा कहीं और नहीं बिकती, अगर कहीं बिकती भी है तो ‘इगलास की मशहूर चमचम’ कहकर ही बेची जाती है. समय के साथ इगलास में चमचम की दुकानों की संख्या भी बढ़ती चली गई.
इगलास में चमचम बनाने वालों की दुकानों की संख्या करीब 50 से 100 है और हर दिन 10 से 15 क्विंटल चमचम की बिक्री होती है. खासकर जब भी कोई इगलास से होकर गुजरता है तो यहां से चमचम खरीदना और खाना नहीं भूलता.
ऐसे होती है तैयार
चमचम बनाने के लिए सबसे पहले दूध से छेना निकाला जाता है. छेना और सूजी मिलाकर गोले तैयार किए जाते हैं, जिसके बाद इन्हें चीनी की चाशनी में काफी देर तक पकाया जाता है. इसे बनाने में घी या रिफाइंड का इस्तेमाल नहीं किया जाता. चमचम को सिर्फ चाशनी में ही पकाया जाता है. इस वजह से यह जल्दी खराब भी नहीं होती.
तीसरी पीढ़ी बेच रही है चमचम
जानकारी देते हुए चमचम कारोबारी विनोद कुमार ने बताया कि ‘1944 में एक मिठाई बननी शुरू हुई, जिसका नाम चमचम रखा गया. हमारे यहां की तीसरी पीढ़ी आज भी चमचम बेच रही है. करीब 70 साल पुरानी हमारी दुकान है. चमचम को दूध फाड़ कर और उसका पानी निचोड़कर, छेने को मसलकर बनाया जाता है. फिर इसमें इलायची मिलाकर चाशनी में छोड़ दिया जाता है. इसके बाद चमचम तैयार होती है. इसकी खास बात यह है कि इसकी देश-विदेश में बहुत डिमांड है. 1 किलो चमचम में करीब 20 पीस होते हैं.’
ये भी पढ़ें: यूपी की इस मिठाई ने मचाई धूम, देखते ही आएगा मुंह में पानी, बंपर डिमांड
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
———-
स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||