Paddy Farming Tips : गेहूं की कटाई के बाद किसान धान के लिए खेत तैयार कर रहे हैं. धान की खेती में पानी और यूरिया की बहुत जरूरत होती है. लेकिन किसान अगर धान की रोपाई के 7 दिन बाद ये उपाय कर लें तो अलग से 125 केज…और पढ़ें
धान की फसल
- धान की रोपाई के 7 दिन बाद डालें 5 किलो नील हरित शैवाल.
- नील हरित शैवाल से धान को वायुमंडल से नाइट्रोजन मिलेगी.
- इस उपाय से 125 किलो यूरिया की जरूरत नहीं पड़ेगी.
शाहजहांपुर: गेहूं की कटाई के बाद किसान इन दिनों धान की तैयारी में लगा हुआ है. बारिश की शुरुआत के साथ ही धान की पौध लगाने का काम शुरू हो जाएगा वहीं कुछ किसान धान की मई-जून में सीधी रोपाई भी करते हैं. इस बीच खरीफ सीजन से पहले किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. अब किसानों को धान की फसल में नाइट्रोजन के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी. कृषि विशेषज्ञ एक ऐसे शैवाल के बारे में बता रहे हैं जिसके इस्तेमाल से धान के पौधों को वायुमंडल से ही पर्याप्त नाइट्रोजन मिल जाएगी.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता बताया कि धान की फसल को लगभग 120 से 125 किलोग्राम यूरिया की जरूरत होती है. यूरिया हमारे आसपास की हवा में भी मौजूद है, लेकिन पौधे इसे सीधे तौर पर ग्रहण नहीं कर पाते. इसी कारण किसानों को अलग से यूरिया डालनी पड़ती है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है. हालांकि, डॉ. गुप्ता का कहना है कि यदि किसान नील हरित शैवाल का सही ढंग से उपयोग करें, तो धान के पौधे आसानी से वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को अवशोषित कर सकेंगे और उन्हें अतिरिक्त यूरिया की आवश्यकता नहीं होगी.
रोपाई के 7 दिन बाद करें ये काम
नील हरित शैवाल हवा में मौजूद नाइट्रोजन को खींचकर पौधों तक पहुंचाता है. इससे पौधों को समय पर नाइट्रोजन मिलती रहती है. धान की रोपाई के 7 दिन बाद, एक एकड़ खेत में 5 किलोग्राम नील हरित शैवाल को बिखेर दें. इसके बाद खेत में नमी बनाए रखें. ऐसा करने से किसानों को अलग से नाइट्रोजन डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि पौधे धीरे-धीरे वायुमंडल से नाइट्रोजन लेते रहेंगे. यह तकनीक किसानों के लिए न केवल किफायती साबित हो सकती है, बल्कि मिट्टी की सेहत के लिए भी बेहतर है.
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