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नई दिल्ली47 मिनट पहले

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7 जनवरी 2025 को नितिन गडकरी ने दिल्ली में कैशलेस ट्रीटमेंट योजना लॉन्च की थी। -फाइल फोटो।

सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले लोगों और उनके परिवारजनों के लिए बड़ी राहत का ऐलान हुआ है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी कर देशभर में सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम की घोषणा की है।

सड़क परिवहन मंत्रालय की एक गैजेट अधिसूचना के मुताबिक, अगर कोई सड़क हादसा मोटर वाहन की वजह से होता है, तो उसमें घायल व्यक्ति का इलाज इस स्कीम के तहत किया जाएगा। इसके तहत घायल का कैशलेस इलाज किया जाएगा, चाहे उसके साथ हादसा किसी भी सड़क पर हुआ है। इसके लिए घायल को 1.5 लाख रुपए तक किसी तरह का कोई पेमेंट करने की जरूरत नहीं होगी।

डेढ़ लाख से ऊपर खर्च पर खुद पैसे देने होंगे अस्पताल को प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में रेफर करना है तो उस अस्पताल को सुनिश्चित करना होगा कि जहां रेफर किया जा रहा है, वहां मरीज को दाखिला मिले। डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज होने के बाद उसके भुगतान में नोडल एजेंसी के रूप में NHAI काम करेगा, यानी इलाज के बाद मरीज या उनके परिजन को डेढ़ लाख तक की रकम का भुगतान नहीं करना है।

यदि इलाज में डेढ़ लाख से ज्यादा का खर्च आता है तो बढ़ा बिल मरीज या परिजन को भरना होगा। सूत्रों का कहना है कि कोशिश यह हो रही है कि डेढ़ लाख की राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक किया जा सके।

दरअसल, दुर्घटना के बाद का एक घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है। इस दौरान इलाज न मिल पाने से कई मौतें हो जाती हैं। इसी को कम करने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है।

बता दें कि इससे पहले इस साल जनवरी में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए यह घोषणा की थी कि सरकार सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए जल्द ही ऐसी योजना लाने पर विचार कर रही है। इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) राज्य की पुलिस, अस्पतालों और राज्य की स्वास्थ्य एजेंसी के साथ मिलकर काम करेगा।

समय पर इलाज न मिलने से मरने वालों की संख्या ज्यादा भारत में 2023 में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए। 2024 में जनवरी-अक्टूबर के बीच 1.2 लाख जानें गईं। 30-40% लोग समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देते हैं।

वहीं, सड़क हादसे के घायलों के इलाज में औसतन 50,000 से 2 लाख रुपए का खर्च आता है। गंभीर मामलों में खर्च 5-10 लाख तक पहुंच जाता है। डेढ़ लाख रुपए तक फ्री इलाज की योजना से हर साल करीब 10 हजार करोड़ का बोझ पड़ने का अनुमान है।

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