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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैरसन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 3 गुजरातियों समेत कुल 27 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। जबकि कई लोग घायल हैं। इस आतंकी हमले में सूरत के एक युवक और भावनगर के एक पिता-पुत्र की मौत हो गई। वहीं, भावनगर के विनुभाई डाभी हाथ में गोली लगने से घायल हो गए। श्रीनगर में इलाज के बाद वे गुरुवार को भावनगर पहुंचे। भावनगर के भारतनगर इलाके में रहने वाले विनुभाई और उनकी पत्नी ने अपनी आंखों से देखी घटना दिव्य भास्कर को बताई। पढ़िए, उन्हीं के शब्दों में…
भागते समय मुझे पीछे से गोली लगी विनुभाई डाभी ने कहा- हम घोड़े पर सवार होकर बैरसन घाटी में पहुंचे थे। वहां कुछ देर बैठे और तस्वीरें लेने लगे। इसी दौरान गोलियों की आवाजें सुनाई देने लगीं। मैंने अपने साथी गोविंदभाई से कहा कि कुछ गड़बड़ है। यहां से जल्दी निकलिए। इसके बाद हम सब वहां से भागने लगे। गोलीबारी से बचने के दौरान हम सब अलग-अलग हो गए। मैं दौड़ते हुए अपनी पत्नी को ढूंढ रहा था। इसी दौरान पीछे से एक गोली लगी और एक गोली मेरे कंधे को छूती हुई निकल गई।
पिता-पुत्र के सीने में गोलियां दाग दीं विनुभाई ने आगे कहा कि वहां भगदड़ मची थी। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वहां मौजूद सभी लोग चिल्ला रहे थे और भाग रहे थे। जो लोग ऊपर थे, उन्हें गोली मार दी गई। हमारे साथ जो भावनगर के ही एक पिता और पुत्र थे, उन्हें भी गोली मार दी गई। अब वे हमारे बीच नहीं हैं। गोली लगने के बाद मैं जमीन पर गिर गया, लेकिन कुछ लोग मुझे वहां से अस्पताल ले गए। अस्पताल में कई अधिकारी और नेता भी आए। अमित शाह खुद मुझसे मिलने आए और मुझसे कहा कि हम किसी को नहीं छोड़ेंगे।
आतंकी हमले में घायल हुए विनुभाई और उनकी पत्नी लिलीबेन।
महादेव का नाम लेकर रोते हुए भाग रहे थे वहीं, विनूभाई डाभी की पत्नी लिलीबेन ने कहा कि हम श्रीनगर में हो रही मोरारी बापू की कथा में में गए थे। कथा के बाद हम सभी पहलगाम घूमने चले गए थे। हम वहां तस्वीरें ले रहे थे, तभी गोलियों की आवाज सुनाई दी। मेरे पति ने पूछा- यह शोर किस बात का है, गोविंदभाई? इसके बाद गोलियों की आवाज तेज हो गई, तो हम जान बचाने भागने लगे। वहां चारों तरफ गोलियां चल रही थीं। हम महादेव का नाम लेते और रोते हुए भाग रहे थे। भागने के दौरान मैं पति और पूरे ग्रुप से बिछड़ गई। लेकिन, बाद में हम सभी एक जगह इकट्ठा हुए। घायलों को अस्पताल ले जाते वक्त मैंने अपने पति विनुभाई को देखा- उन्होंने दर्द से कराहते हुए कहा- गोली लग गई है।
आतंकी हमले में जान गंवाने वाले यतीशभाई परमार और उनका 17 वर्षीय बेटा स्मित।
मैंने अपनी आंखों से स्मित को गोली लगते देखा। लिलीबेन ने आगे बताया कि भावनगर के ही रहने वाले यतीशभाई परमार और बेटे स्मित को आतंकियों ने गोली मार दी। दोनों की वहीं पर मौत हो गई थी। मैंने खुद अपनी आंखों से स्मित को गोली लगते देखा। जैसे ही उसे गोली लगी, वह अपनी छाती पकड़कर नीचे गिर गया। इतना भयानक मंजर मैंनै आज से पहले कभी नहीं देखा था। मैं उस मंजर को याद करके कांप उठती हूं।
पिता हेयर सैलून चलाते हैं, बेटा पढ़ाई करता है। मृतक, 45 वर्षीय यतीशभाई परमार, मूल रूप से पालीताणा के निवासी थे और फिलहाल भावनगर में रह रहे थे। वे कालियाबीड़ इलाके में हेयर सैलून चलाते थे। जबकि उनका 17 वर्षीय बेटा स्मित 11वीं कक्षा में पढ़ रहा था। इस दुखद घटना की खबर मिलते ही स्मित के स्कूल में शोक का माहौल छा गया। कल (गुरुवार) यतीशभाई और स्मित का अंतिम संस्कार किया गया। पालीताणा के लोगों ने शहर बंद रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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