Pahalgam Terror Attack Story: पहलगाम हमले में बिटन अधिकारी की हत्या ने उनके परिवार को गहरे दुख में डाल दिया. बिटन अपने छोटे बेटे और बीमार माता-पिता की देखभाल करते थे. उनका 3 साल का बेटा सदमे में है. वह बार-बार …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- पहलगाम हमले में बिटन अधिकारी की मौत से परिवार गहरे दुख में.
- बिटन अधिकारी अपने छोटे बेटे और बीमार माता-पिता की देखभाल करते थे.
- हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए.
Pahalgam Terror Attack Story: तीन साल के बच्चे के पिता बिटन अधिकारी को कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरती के बीच आतंकवादियों ने गोली मार दी. हर बार जब उनका छोटा बेटा नींद से जागता है तो उसकी आवाज कांपती है और वह बस एक ही सवाल पूछता है…. “पापा कहां हैं? क्या वह कहीं गए हैं?” उसकी मां के पास कोई जवाब नहीं है. वह केवल आंसू ही दे सकती है क्योंकि उसके बेटे के शब्द सन्नाटे को चीरते हुए कांच की तरह टूटते हैं.
जो एक खुशहाल पारिवारिक छुट्टी होनी चाहिए थी, वह एक जीवनभर के गम में बदल गई. बिटन अधिकारी मूल रूप से पश्चिम बंगाल के थे. कुछ साल पहले अपने परिवार के साथ फ्लोरिडा में बस गए थे. वह 8 अप्रैल को अपने रिश्तेदारों से मिलने कोलकाता लौटे थे और हमले के समय अपने परिवार के साथ कश्मीर में छुट्टियां मना रहे थे.
मेरे पति को हमारे बच्चे के सामने ही मार दिया…
उनकी पत्नी ने एक न्यूज चैनल को “उन्होंने हमें अलग कर दिया.” जब वह बोल रही थीं तो उनकी आवाज में कंपकंपाहट थी. उन्होंने कहा, “उन्होंने पूछा कि हम कहां से हैं फिर पुरुषों को अलग किया, उनका धर्म पूछा और एक-एक करके गोली मार दी. मेरे पति को हमारे बच्चे के सामने ही मार दिया गया. मैं उसे यह कैसे समझाऊं?”.
उनकी आवाज बड़ी मुश्किल से निकल पा रही थी. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं अपने बेटे को कैसे बताऊं कि उसके पिता हमेशा के लिए चले गए हैं. वह डर के मारे जागता है मेरा हाथ पकड़ता है और पूछता है… पापा कहां हैं?”
बिटन न केवल एक समर्पित पति और पिता थे बल्कि अपने वृद्ध और बीमार माता-पिता के प्राथमिक देखभालकर्ता भी थे, भले ही वह विदेश में रहते थे. उनके पिता 87 वर्षीय बीरेश्वर अधिकारी, और उनकी 75 वर्षीय मां, माया अधिकारी दोनों की तबीयत खराब है. बिटन ही उनके स्वास्थ्य खर्चों का प्रबंधन करते थे. वे विदेश से पैसे भेजते थे ताकि उनके मां-बाप कभी भी दवा या डॉक्टर की अपॉइंटमेंट से न चूकें.
गौरतलब है कि पहलगाम में 22 अप्रैल के हमले में 25 भारतीय पर्यटकों और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए. आतंकवादियों द्वारा गैर-कश्मीरी पर्यटकों को अलग करने और उनके धर्म के बारे में पूछने के बाद की गई हत्याओं की क्रूरता ने राष्ट्रीय आक्रोश को जन्म दिया है.
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