भारतीय टीम जब 1984 में पाकिस्तान गई तो उससे फैंस का बड़ी उम्मीदें थी. लेकिन यह सीरीज अधूरी ही रह गई क्योंकि भारतीय टीम को बीच में ही स्वदेश लौटना पड़ा था.
- जब भारतीय टीम को पाकिस्तान से सीरीज छोड़कर स्वदेश लौटना पड़ा.
- 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तुरंत वापस बुलाई गई थी टीम.
- खालिस्तानी आतंकियों ने की थी तत्कालीन पीएम की हत्या.
नई दिल्ली. दिलीप वेंगसरकर 94 रन पर खेल रहे थे. पाकिस्तान के खिलाफ अपने पहले वनडे शतक से महज 6 रन दूर. तभी एक मैसेज आता है और अचानक खेल रोक दिया जाता है. सारे खिलाड़ी मैदान से बाहर आते हैं. बाहर अफरातफरी का माहौल है. चेहरों पर घबराहट और चिंता छाई हुई है. आननफानन में प्लेन का इंतजाम किया जाता है और पूरी भारतीय टीम पाकिस्तान से सीधे दिल्ली रवाना हो जाती है. यह वाक्या है 31 अक्टूबर 1984 का जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आतंकियों ने हत्या कर दी थी. पाकिस्तान दौरे पर गई भारतीय टीम के कप्तान सुनील गावस्कर थे. यह उनका आखिरी पाकिस्तान दौरा भी साबित हुआ.
अंजाम तक नहीं पहुंच पाई सीरीज
भारतीय टीम जब 1984 में पाकिस्तान गई तो उससे फैंस का बड़ी उम्मीदें थी. आखिर एक साल पहले ही भारतीय टीम वर्ल्ड चैंपियन बनी थी लेकिन फैंस की उम्मीदें परवान ना चढ़ सकीं. एक तो सीरीज में भारत की शुरुआत खराब रह और दूसरे यह अपने अंजाम तक भी नहीं पहुंच सकी. भारत वनडे सीरीज 0-1 से हार गया. टेस्ट सीरीज 0-0 से बराबर रही. वनडे सीरीज के दो और टेस्ट सीरीज का आखिरी मैच कैंसल कर दिया गया.
और वो मनहूस खबर आ गई…
भारत ने दौरे की शुरुआत वनडे मैच से की. 12 अक्टूबर को दोनों टीमों के बीच 3 मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला हुआ. इसे पाकिस्तान ने 46 रन से जीता. इसके बाद टेस्ट सीरीज के दो मुकाबले हुए और दोनों ही ड्रॉ रहे. फिर 31 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा वनडे मैच हुआ. भारत ने इस मैच में अच्छी शुरुआत की और एक समय 3 विकेट पर 210 रन बना लिए थे. दिलीप वेंगसरकर 102 गेंद पर नाबाद थे और रवि शास्त्री 6 रन बनाकर उनका साथ दे रहे थे. तभी वो मनहूस खबर आई कि इंदिरा गांधी की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी है.
भारत ने तुरंत बुला ली अपनी टीम
भारत में आतंकी हमलों में पाकिस्तान का हाथ रहता आया है. 1980-90 के दशक में पंजाब में फैला आतंक हो या अभी कश्मीर में टेररिस्ट अटैक. पाकिस्तान इन आतंकियों को पैसों से लेकर ट्रेनिंग तक हर सुविधा मुहैया कराता है. कोई शक नहीं कि जब 1984 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री की हत्या हुई तो सियालकोट में मौजूद क्रिकेट टीम की सुरक्षा पर भी संदेह होने लगे थे. इसीलिए भारत सरकार ने अपनी टीम को पाकिस्तान से तुरंत वापस बुला लिया था.
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