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EXCLUSIVE SPOOFING: पाकिस्तान और म्यांमार बॉर्डर के पास स्पूफिंग के मामले पिछले कुछ साल में बढ़े हैं, जीपीएस जैम पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और म्यांमार की सीमा के करीब के इलाके दुनियां के टॉप पांच इ…और पढ़ें

IAF के विमान पर हुआ साईबर अटैक, कौन कर रहा था म्यांमार में GPS स्पूफिंग?म्यांमार में भारतीय वायुसेना के विमान के साथ स्पूफिंग…..

हाइलाइट्स

  • भारतीय वायुसेना के विमान पर म्यांमार में GPS स्पूफिंग.
  • पाकिस्तान और म्यांमार सीमा पर स्पूफिंग के मामले बढ़े.
  • GPS स्पूफिंग से एयरक्राफ्ट के नेविगेशन सिस्टम को मिसलीड किया जाता है.

EXCLUSIVE: भारत ने म्यांमार में आए भूकंप के बाद ऑपरेशन ब्रह्मा को लॉन्च किया. भारतीय वायुसेना के विमानों ने तुरंत मोर्चा मंभाला. पहला एयरक्राफ्ट C-130J दिल्ली से राहत बचाव दल के साथ रवाना हुआ. इसके बाद कई और एयरक्राफ्ट को लॉन्च किया गया. लेकिन जो भारतीय वायुसेना के पायलटों को म्यांमार में झेलना पड़ा वह अजीब था. सूत्रों के मुताबिक जब विमान म्यांमार के एयर स्पेस में उड़ान भर रहा था तो उनके जीपीएस सिंग्नल के साथ छेड़ छाड़ की जा रा रही थी. इसे स्पूफिंग कहा जाता है. यानी की जो डाटा जीपीएस दिखा रहा था वह गलत था. सूत्रों के मुताबिक इस तरह की स्पूफिंग का पता चलते ही तुरंत दूसर अन्य नेविगेशन सिस्टम और पद्धती से एयरक्राफ्ट को ऑपरेट किया गया. हर एयरक्राफ्ट में GPS की मदद के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) मौजूद होता है. यह एक नेविगेशन का सबसे पुरानी पद्धति है. पुराने समय में समुद्र में जहाजों को नेविगेट करने में इस्तेमाल किया जाता था. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि अगर कोई सैटेलाइट GPS को ब्रीच करके उसे बाधित करता है, तो INS के जरिए अपने सही रूट पर जा सकता है. सवाल यह है कि यह स्पूफिंग आखिर कर कौन रहा था ? शक की सुई तो चीन और उसके समर्थित उग्रवादी गुटों की तरफ ही घूम रही है. क्योंकी चीन म्यांमार में ज्यादा एक्टिव है.

क्या होता है स्पूफिंग?
GPS स्पूफिंग एक तरह का साईबर अटैक होता है. इसमें गलत जीपीएस सिगनल के जरिए एयरक्राफ्ट के नेविगेशन सिस्टम को मिसलीड किया जाता है. इसमें नेविगेशन सिस्टम कन्फ्यूज हो जाता है और गलत ताकतवर सिगनल को सही समझकर काम करने लगता है. डिवाइस को लगता है कि वह सही जगह पर है जब्की वह होता गलत जगह पर है. GPS सिस्टम सैटेलाइट्स से सिग्नल भेजता है जिसे जमीन पर रिसीवर्स के जरिए रिसीव किया जाता है. यह रिसीवर्स इन सिग्नलों के आधार पर लोकेशन को निर्धारित करता है. लेकिन यह बहुत कमजोर सिग्नल होते है और इन्हें आसानी किसी भी स्ट्रांग सिग्नल से दबाया जा सकता है.

पाकिस्तान सीमा के पास सबसे ज्यादा स्पूफिंग
अमूमन किसी भी जंग यह संघर्ष के इलाके में दुश्मन के एयरक्राफ्ट, यूएवी और जीपीएस वाले लॉंग रेज रे मिसाइल या रॉकेट को ब्रीच करने के लिए स्पूफिंग होती है. लेकिन इस तरह की स्पूफिंग तो भारत और पाकिस्तान की सीमा के पास भी हो रहे हे. लोकसाभ में सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की तरफ से दिए गए एक जवाब में यह साफ हुआ. इसमें बताया गया कि सिविल एयरलाइंस ने अमृतसर और जम्मू के आस पास नवबंर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 जीपीएस स्पूफिंग के मामले सामने आए है.

दुनिया भर में स्पूफिंग के मामलों में 500 फीसदी की बढ़ोतरी
OPSGROUP एक 8000 एवियेशन पर्सनल का एक समूह है जिसमें पायलट भी शामिल है. वह फ्लाइट सेफ्टी के लिए अपनी जानकारियां साझा करते है. इस वर्कग्रुप ने पिछले साल सिंतबर में एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में स्पूफिंग के मामले में 500 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. जो साल 2024 के पहले दूसरे क्वॉटर में हर दिन 300 फ्लाइट के साथ स्पूफिंग के मामले आते थे, वह बढ़कर हर दिन 1500 फ्लाइट में आने लगी.

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