बलिया के आठवीं कक्षा के छात्र शुभांग स्वामिन ने कम उम्र में शोध कर पेटेंट प्राप्त किया है. उसने मॉस्किटो रेपेलेंट डिवाइस और हर्बल पेस्टिसाइड तैयार किया है, जिसे कृषि वैज्ञानिकों ने सराहा है.
कृषि वैज्ञानिकों को जानकारी देता छात्र शुभांग स्वामिन
- बलिया के शुभांग स्वामिन ने कम उम्र में पेटेंट प्राप्त किया.
- शुभांग ने मॉस्किटो रेपेलेंट डिवाइस और हर्बल पेस्टिसाइड तैयार किया.
- कृषि वैज्ञानिकों ने शुभांग के शोध की सराहना की.
बलिया: कहा जाता है कि बचपन में ही किसी व्यक्ति की खासियत झलकने लगती है, और कुछ ऐसा ही हुआ है बलिया के एक आठवीं कक्षा के छात्र के साथ. इस छोटे से बच्चे ने अपनी कम उम्र में शोध करके सफलता की दिशा को मजबूत किया है. इस बच्चे की उपलब्धि देखकर कृषि वैज्ञानिक भी हैरान हैं. जिस उम्र में बच्चे पेटेंट के बारे में सोचते भी नहीं, उस उम्र में इस बच्चे ने भारत सरकार से अपने शोध पर पेटेंट प्राप्त किया है. इसके अलावा, उसने कृषि के लिए एक हर्बल पेस्टिसाइड तैयार किया है, जिसे लेकर कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पर भी उसे पेटेंट मिलेगा. आइए जानते हैं डिटेल से इस युवा शोधकर्ता की सफलता के बारे में.
कृषि वैज्ञानिक भी हो गए हैरान
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा, हर साल विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश की ओर से असंगठित क्षेत्र के अन्वेषकों के लिए कैंप आयोजित किया जाता है. इस दौरान एक छोटे बच्चे का शोध सामने आया, जिसे देखकर कृषि वैज्ञानिक भी हैरान रह गए. इस शोध में उसकी तकनीकी कौशल को देखकर विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की. इस प्रकार की उपलब्धियों के लिए, प्रथम स्थान को ₹8000, द्वितीय को ₹5000 और तृतीय स्थान को ₹3000 का पुरस्कार दिया जाता है.
पेटेंट कैसे मिलता है…?
यदि कोई व्यक्ति नया और उच्च स्तर की तकनीक प्रस्तुत करता है, तो उसे सभी पहलुओं से जांचा और परखा जाता है. यदि तकनीक सही साबित होती है, तो इसे विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा जिला विज्ञान क्लब और श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के सहयोग से भारत सरकार को भेजा जाता है. इसके बाद इसे पेटेंट मिलता है.
कम उम्र में पेटेंट पाने की कहानी…
बलिया के सनबीम स्कूल अग्रसंडा में पढ़ने वाला आठवीं कक्षा का छात्र शुभांग स्वामिन ने पिछले साल एक मॉस्किटो रेपेलेंट डिवाइस बनाई थी. इस प्रयास को पेटेंट के लिए भेजा गया था, और भारत सरकार द्वारा उसे डिजाइन के पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ. इस तरह इस बच्चे ने इतनी कम उम्र में पेटेंट का अधिकार हासिल कर लिया, जब अधिकतर बच्चों को पेटेंट की जानकारी भी नहीं होती.
जल्द मिल सकता है दूसरा पेटेंट…
इस साल भी शुभांग ने अपनी सोच और मेहनत से एक नई खोज की है. उसने तंबाकू और लहसुन से पेस्टिसाइड तैयार किया है, जो किसानों के लिए लाभकारी और उपयोगी साबित हो सकता है. कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि यह पेस्टिसाइड कई प्रकार के कृषि कीड़ों को रोकने में मदद कर सकता है. लहसुन में सल्फर कंपाउंड और तंबाकू में निकोटिन जैसे तत्व कृषि के लिए बहुत उपयोगी हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इस शोध पर भी इस बच्चे को पेटेंट मिल सकता है.
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