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Bamboo Farming Tips : अगर आप नौकरी या किसी अन्य कारण से अपने गांव से दूर है और धान-गेहूं की खेती नहीं कर सकते तो आप इस 150 फीट वाली घास की खेती कर सकते हैं. यह आपको धान-गेहूं की खेती से 4 गुना ज्यादा रिटर्न भी …और पढ़ें

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बांस 

बांस 

हाइलाइट्स

  • बांस की खेती से धान-गेहूं से 4 गुना अधिक कमाई.
  • बांस की खेती 50 साल तक चल सकती है.
  • बलुई-दोमट मिट्टी बांस की खेती के लिए उपयुक्त.

शाहजहांपुर : उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर सहित कई अन्य जिलों में अब किसानों के बीच बांस की खेती को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. परंपरागत फसलों की तुलना में बांस की खेती कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकती है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बांस न केवल तेज़ी से बढ़ने वाली घास है, बल्कि इसकी बाज़ार में मांग भी लगातार बढ़ रही है. यह घास 3 से 4 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 200 से 300 टन तक पैदावार दे सकती है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस एक प्रकार की घास होती है. बांस की खेती से किसान धान और गेहूं की खेती से मिलने वाले मुनाफे से 4 गुना अधिक कमा सकते हैं. एक बार लगाए गए बांस की फसल 40-50 साल तक चल सकती है, जिससे किसान को बार-बार बुवाई की जरूरत नहीं होती. बांस को बहुउद्देशीय माना जाता है. बांस मेड या फिर पूरे खेत में भी लगा सकते हैं. बांस की कई किस्म होती हैं. बांसुरी वाला बांस, लाठी वाला बांस, इमारती बांस और सजावटी बांस. बांस की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन आय का स्रोत बन सकती है.

3 इंच तक हर दिन बढ़ेगी लंबाई
बांस तेजी से बढ़ने वाली घास है. बांस की लंबाई 30 से 150 फीट तक होती है. पहले तीन माह में शाखाएं औसत रूप से तीन इंच प्रति दिन बढ़ती हैं, इसके बाद इनमें नीचे से ऊपर की ओर लगभग 10 से 50 इंच तक तना बनता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड को अधिक मात्रा में अवशोषित करती है. इसके अलावा, यह मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारती है और भू-क्षरण को रोकती है. बांस की खेती में पानी की आवश्यकता धान और गेहूं की खेती की तुलना में काफी कम होती है. यह जल-संकट वाले क्षेत्रों के लिए एक आदर्श फसल है.

बलुई और दोमट मिट्टी है उपयुक्त
कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बांस की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. बांस की खेती के लिए हल्की, बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. जल निकासी की अच्छी व्यवस्था वाली भूमि में बांस की पैदावार अधिक होती है.

कैसे करें बांस की रोपाई?
बांस को मानसून के दौरान लगाना चाहिए. इससे पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए पर्याप्त नमी मिलती है. हालांकि की बांस को कभी भी लगाया जा सकता है. बांस के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जा सकता है. नर्सरी में तैयार पौधों को 8 से 10 महीने बाद मुख्य खेत में रोपा जाता है. शुरुआती 2 से 3 साल तक बांस को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, जैविक खाद और उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना आवश्यक है.

3 साल बाद मिलेगी पहली आमदनी
बांस की पहली कटाई 3 से 4 साल बाद की जाती है. इसके बाद, हर 2 से 3 साल में कटाई की जा सकती है. कटाई के बाद बांस की उचित देखभाल और संरक्षण भी आवश्यक है. अच्छी देखभाल करने से लंबे समय तक बांस से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.

सरकार दे रही सब्सिडी
बांस की खेती करने वाले किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाना चाहिए. इसके अलावा, बांस उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए सही मार्केटिंग रणनीति अपनानी चाहिए.

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बलुई मिट्टी में लगा दें 150 फीट वाली घास… धान-गेहूं से मिलेगा 4 गुना रिटर्न

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