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Karnataka: चामराजनगर जिले के कई गांव आज भी सड़क और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. सड़क न होने के कारण एक बीमार व्यक्ति को डोली में बैठाकर 8 किलोमीटर पैदल अस्पताल ले जाना पड़ा.

75 साल बाद भी गांवों में सड़क नहीं! मरीज को ले जाना पड़ा डोली में...कर्नाटक गांवों की दुर्दशा

देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है, लेकिन कुछ इलाके अब भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं. कर्नाटक का चामराजनगर जिला इसकी एक बड़ी मिसाल है, जहां आज भी कई गांवों में सड़कें तक नहीं हैं. आईटी और बीटी शहर बेंगलुरु से महज कुछ ही दूरी पर स्थित यह इलाका आधुनिकता से कोसों दूर है. यहां के लोग आज भी आवागमन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

जब सड़क नहीं, तो डोली बनी सहारा
ताजा मामला चामराजनगर जिले के पुट्टा हादिया गांव का है, जहां एक बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने के लिए गांववालों को डोली का सहारा लेना पड़ा. तुलसीकेरे गांव में रहने वाले पुट्टा नामक व्यक्ति को अचानक तेज़ बुखार हो गया. गांव में सड़क न होने के कारण एंबुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकी. ऐसे में गांव के लोगों ने उसे डोली में बिठाया और आठ किलोमीटर दूर तमिलनाडु के कोलाथुर अस्पताल तक पैदल लेकर गए.

बिना सड़क के जिंदगी मुश्किल
यह कोई पहली बार नहीं है, जब इस तरह की घटना सामने आई हो. इस क्षेत्र के गांवों में गर्भवती महिलाओं और बीमार मरीजों के लिए अस्पताल तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है. आपातकालीन स्थिति में यहां न तो एंबुलेंस आ सकती है और न ही अन्य कोई परिवहन सुविधा उपलब्ध है. ग्रामीणों को हर बार मरीजों को इसी तरह ले जाना पड़ता है.

आज भी 18 गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित
देश को आज़ाद हुए 75 साल से अधिक हो गए, लेकिन चामराजनगर जिले के 18 से अधिक गांवों में आज भी सड़कें नहीं हैं. इंडिगनत्था, मेंडारे, तुलसीकेरे, पडसलनाथ, टेकाने, कोक्केबोरा, डोड्डेन और थोकेरे जैसे गांवों की स्थिति बेहद खराब है. सड़कें न होने की वजह से इन गांवों में न तो शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चल पाती है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं.

सरकार से गुहार, कब मिलेगी राहत?
स्थानीय लोग कई बार सरकार से सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनावों के समय नेता वादे तो बहुत करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब भूल जाते हैं.

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75 साल बाद भी गांवों में सड़क नहीं! मरीज को ले जाना पड़ा डोली में…

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