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गुवाहाटी38 मिनट पहले

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महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई मशीन का इंस्टॉलेशन करते कर्मचारी। इसमें 24 घंटे लग सकते हैं।

असम के दीमा हसाओ जिले में 3 किलो उमरंगसो इलाके में 6 जनवरी को 300 फीट गहरी कोयला खदान में पानी भर गया था। जिससे वहां काम कर रहे रैट होल माइनर्स फंस गए। इनमें से एक का शव बुधवार को मिला था। बाकी बचे 8 मजदूर के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुक्रवार को भी जारी है।

कोल इंडिया ने असम की उमरांगसो कोयला खदान से पानी निकालने के लिए नागपुर से 500 जीपीएम (गैलन प्रति मिनट) का पंप मंगाया है। इस पंप को लगाने का काम अभी चल रहा है।

नॉर्थईस्टर्न कोल फील्ड के जनरल मैनेजर के मेरे के मुताबिक इंस्टॉलेशन का काम तीन शिफ्ट में 24 घंटे तक चलेगा। एक मिनट में यह 500 गैलन पानी निकाल सकता है।

गुरुवार को दिनभर नौसेना के गोताखोर रिमोट ऑपरेटेड व्हीकल और कैमरे लेकर खदान की सुरंगों में मजदूरों को ढ़ूंढते रहे, लेकिन वहां जिंदगी का कोई भी सिग्नल नहीं मिला।

6 जनवरी को सुरंग में पानी भरने के बाद समझ-बूझ के चलते जिंदा लौटे मजदूर रियाज अली ने भास्कर से बात की। उसने बताया कि पानी आते ही वह सीधा लेट गया, जिससे पानी के प्रेशर ने उसे बाहर फेंक दिया।

रियाज अली की आपबीती…

सोमवार सुबह 8 बजे हम 40-42 मजदूर खदान में उतरे थे। नीचे उतरकर सब सुरंगें खोदने लगे। ये बहुत गहरी और बहुत ही कम चौड़ी होती हैं, इसलिए एक-एक करके ही इनके अंदर जाते हैं। मेरे कैंप से 4 मजदूर अंदर थे। मैं कोयला निकाल ही रहा था कि तभी अंदर की तरफ पानी आने की तेज आवाज सुनी। मेरे कुछ साथी सुरंगों में काफी आगे खोद रहे थे। जबकि बाहर से कुछ मजदूरों के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। मैं सुरंग से खदान के मेन होल की तरफ जाने वाले रास्ते पर भागा, लेकिन डर रहा था, इसलिए सुरंग में ही फंस गया। मेरा हेलमेट नीचे गिर गया और लाइट बंद हो गई। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। शुक्र है कि अगले ही पल मुझे सुरंग में सीधे लेट जाने का ख्याल आया। इस बारे में मैंने कई साल पहले खदान एक्सपर्ट्स से सुना था। ऐसी स्थिति में पानी से बाहर आने के लिए खुद को ढीला छोड़कर सुरंग में लेटना पड़ता है, फिर पानी का प्रेशर आपको बाहर फेंक देता है। मैंने ऊपर वाले को याद किया और आंख बंदकर सांस रोककर सुरंग में सीधा लेट गया। कुछ ही सेकंड्स बाद सुरंग के भीतर से इतना तेजी से पानी आया कि मैं प्रेशर के साथ सुरंग से बाहर निकलकर खदान की तली पर जा गिरा। मैंने हाथ पैर चलाए और पानी में ऊपर आ गया। देखा तो वहां कुछ और मजदूर भी थे। हमें खदान के भीतर-बाहर लाने -ले जाने वाली क्रेन की रस्सी पास ही लटक रही थी। मैंने उसे पकड़ा। मेरे पूरे शरीर पर चोटें लगी हैं। शुक्र है, जान बच गई।

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देखिए रेस्क्यू ऑपरेशन की 2 तस्वीरें…

नेवी के ROV (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल) को सुरंग के अंदर भेजा गया था। ROV फोटो खींचने में सक्षम और सोनार तरंगों से लैस है। हालांकि, इसमें कुछ नहीं दिखाई दिया।

खदान हादसे में अब तक 2 गिरफ्तारियां

असम पुलिस ने खदान हादसे के सिलसिले में एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इसका नाम हनान लस्कर है। हनान को खदान मालिक ने मैनेजर बनाया था। यही मजदूरों का पेमेंट भी देखता था। घटना के तुरंत बाद हनान भाग गया था। गुरुवार रात एक तलाशी अभियान के बाद हनान को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में पुलिस ने इस मामले में पहले पुनुश नुनिसा को गिरफ्तार किया था।

अभी 12 पंप निकाल रहे पानी, लेकिन लेवल घटा नहीं

NDRF के डिप्टी कमांडर एनके तिवारी ने कहा कि हम पहले पूरा पानी बाहर निकालेंगे, उसके बाद ही गोताखोर अंदर जाएंगे। अभी सुरंग में भरे पानी को बाहर निकालने के लिए दो हैवी पंप 24 घंटे काम कर रहे हैं। आस-पास की पांच खदानों से भी 10 पंप मंगाकर लगाए हैं। अभी तक हमने वर्टिकल तलाशी की है। लेकिन कुछ भी नहीं मिल पाया है। हम खदान से पानी निकालने के साथ-साथ आगे जा रहे हैं। पानी का लेवल केवल बढ़ा है, घटा नहीं है।

उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम

  • हुसैन अली, बागरीबारी, थाना श्यामपुर, जिला: दर्रांग, असम
  • जाकिर हुसैन, 4 नंबर सियालमारी खुटी, थाना दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
  • सर्पा बर्मन, खलिसनिमारी, थाना गोसाईगांव, जिला: कोकराझार, असम
  • मुस्तफा शेख, बागरीबारी, पीएस दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
  • खुसी मोहन राय, माजेरगांव, थाना फकीरग्राम, जिला: कोकराझार, असम
  • संजीत सरकार, रायचेंगा, जिला: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
  • लिजान मगर, असम कोयला खदान, पीएस उमरांगसो, जिला: दिमा हसाओ, असम
  • सरत गोयारी, थिलापारा, बताशीपुर, डाकघर पनबारी, जिला: सोनितपुर, असम

खदान में मारे गए मजदूर का शव लेने पहुंची पत्नी

नेपाल के रहने वाले गंगा बहादुर श्रेठ की कोयला खदान हादसे में मौत हो गई। बुधवार को उनका शव निकाला गया। उनकी पत्नी सुशीला राय सोनुरू शव लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंच गई हैं। तीन बच्चों की मां सुशीला ने बताया कि गंगा उनके परिवार का एकमात्र कमाने वाला था।

2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स

ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।

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