Mathura: वृन्दावन में यमुना के किनारे हजारों साल पुराना लक्ष्मी जी का मंदिर है जहां वे हाथ जोड़े मुद्रा में हैं.इस मंदिर में प्रसाद के रूप में खिचड़ी का भोग लगता है और दूर-दूर से भक्त आते हैं. यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी…और पढ़ें
सैकड़ों वर्षों से खिचड़ी प्रसाद की परम्परा चली आ रही है
मथुरा: वृन्दावन में यमुना के किनारे हजारों वर्ष पुराना लक्ष्मी जी का एक ऐसा मन्दिर है, जहां लक्ष्मी जी स्वयं भगवान श्री कृष्ण की तपस्या में लीन हैं. लक्ष्मी तपस्थली के रूप में विख्यात बेलवन नामक इस स्थल पर पौष मास में गुरुवार के दिन विशेष पूजा का महत्व है. इसी के चलते गुरुवार के दिन दूर दराज से आये लाखों भक्त विधि विधान से लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. वहीं महालक्ष्मी को यहां खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है.
माता लक्ष्मी के इस मंदिर में खिचड़ी का भोग लगाया जाता है
भगवान श्री कृष्ण की लीला भूमि ब्रजमंडल में आज भी हजारों वर्ष पुराने ऐसे स्थल हैं, जो भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से किसी ना किसी रूप में जुड़े हुए हैं. लक्ष्मी जी की तपस्थली बेलवन भी कृष्ण की महा रासलीला से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान श्री राधा कृष्ण के महारास में शामिल होने के लिए वैकुंठ से चलकर स्वयं लक्ष्मी जी यहां आई थीं. मगर उन्हें महारास तो दूर वृन्दावन में ही प्रवेश नहीं मिला. इसी से व्याकुल होकर लक्ष्मी जी वृन्दावन के पूर्वी छोर पर यमुना के किनारे तपस्या करने लगी.
हाथ जोड़े हैं माता लक्ष्मी
ऐसी मान्यता है कि आज भी लक्ष्मी जी हाथ जोड़कर भगवान श्री राधा कृष्ण की आराधना में लीन हैं. समूचे ब्रज मंडल में लक्ष्मी जी का एकमात्र यही प्राचीन मंदिर है. मन्दिर में लक्ष्मी जी हाथ जोड़े विराजमान है. बराबर में लड्डू गोपाल विराजमान हैं. भक्तों की मान्यता है कि इस स्थान पर जो भी भक्त लक्ष्मी जी की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उस की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पौष मास के गुरुवार को भक्तों की खासी भीड़ होती है.
माता लक्ष्मी के इस मंदिर में खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. सैकड़ों वर्षों से खिचड़ी प्रसाद की परम्परा चली आ रही है. इस मंदिर में गुरूवार को मेला लगता है. यहां देश के कोने कोने से भक्त खिचड़ी प्रसाद का भंडारा कर अपने आपको धन्य करते हैं. भगवान श्री कृष्णा बाल्यावस्था में दूसरों के बेटे के रूप में उनके पास आए थे और उन्हें सर्वप्रथम खिचड़ी का भोग लगाकर उन्हें खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया था.
व्यवस्था पर महिलाओं ने उठाये सवाल
माता लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करने दूर दराज से आये भक्तों ने पूरी आस्था के साथ बताया कि वो सब अपनी अपनी मनोकामना लेकर यहां पूरी श्रद्धा के साथ आये हैं. उन्हें विश्वास है कि माता लक्ष्मी जी सबकी इच्छा पूर्ण करेंगी. प्राचीन और प्रख्यात मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ आती है लेकिन यहां पर व्यवस्था के नाम पर प्रशासन की ओर से ऐसा कुछ नहीं था जिससे आने वाले श्रद्धालु व्यवस्थित रूप से दर्शन कर सकें.
कहने को तो मंदिर परिसर और बाहर पुलिस कर्मी तैनात किए गए थे. लेकिन तमाम पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के बजाय बैठे नजर आए. इसी का परिणाम था कि आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. खासकर महिलाओं के लिए यहां कोई विशेष इंतजाम नहीं था. अंशु वार्ष्णेय नामक एक महिला श्रद्धालु ने कहा कि महिलाओं के लिए यहां कोई इंतजाम नहीं किया गया.
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