21 से 25 जनवरी के बीच होंगे बेटे-बेटी के शादी के आयोजन।
गुजरात में कच्छ के गाय प्रेमी मेघजीभाई हिरानी ने अपने बेटे और बेटी की शादी अनोखे तरीके से करने का फैसला किया है। इन शादियों में आधुनिक और तड़क-भड़क वाले समारोहों की बजाय हिंदू संस्कृति के अनुरूप आयोजन होंगे। इतना ही नहीं, शादी का कार्ड भी गोबर से ही
पूरी शादी में कहीं भी प्लास्टिक का एक भी टुकड़ा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। साथ ही इस शादी में मौजूद सभी लोगों से भारतीय संस्कृति के मुताबिक कपड़े पहनने का अनुरोध किया गया है। छोटे या तंग कपड़े पहनने वाले लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। परिवार के साथ मिलकर मंडप को गाय के गोबर और असली फूलों से सजाया जाएगा।
विवाह समारोह 21 से 25 जनवरी तक होगा गौ प्रेमी मेघजीभाई हिरानी ने कहा कि आज लोग शादियों पर अनावश्यक खर्च कर रहे हैं। मेरे बेटे और बेटी की शादी 21 से 25 जनवरी के बीच होगी। शादी के इस आयोजन को पूरी तरह से हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार ही संपन्न करवाया जाएगा। हिंदू संस्कृति में विवाह समारोह की पवित्रता बनाए रखना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। शादी की शुरुआत शादी के कार्ड से होती है। इसीलिए हमने शादी का कार्ड भी गोबर और अन्य प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से तैयार करवाया है।
समारोह में बेटी को 108 प्रकार के पौधे दिए जाएंगे मेघजीभाई हिरानी ने आगे बताया कि शादी में गाय का दान किया जाएगा। पूरे मंडप को गाय के गोबर और असली फूलों से सजाया जाएगा। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बेटी को 108 तरह के पौधे भी दिए जाएंगे। ब्राह्मण शुद्ध वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह समारोह संपन्न कराएंगे। इसमें कोई देरी या जल्दबाजी नहीं होगी। वर्तमान में शादियों में जमकर खर्च किया जा रहा है, लेकिन मेरे बेटे और बेटी की शादी कम से कम खर्च में होगी।
पंचगव्य से बने कॉस्मेटिक के होगा बेटी का श्रृंगार शादियों में लोग ब्यूटी पार्लर पर खूब खर्च करते हैं, लेकिन इस मौके पर बेटी को प्राकृतिक रूप से गाय के पंचद्रव्य से बने कॉस्मेटिक से सजाया जाएगा। किसी को भी शादी में छोटे कपड़े पहनकर, नशे की लत वाले या चमड़े का सामान लाने की इजाजत नहीं होगी। जूते-चप्पल भी बरामदे के बाहर उतारे जाएंगे। कुर्सियों या बर्तनों में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
भोज में होगा गाय आधारित खेती के अनाज-सब्जियों का उपयोग शादी में भोज का विशेष महत्व होता है। उसके लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। भोजन के लिए गाय आधारित खेती करने वाले किसानों से लिए गए अनाज, फल और सब्जियों का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए सब्जियों समेत ऐसी खेती करने वाले किसानों को 4 महीने पहले ही ऑर्डर दे दिया गया है। भोजन में कहीं भी रंग, एसेंस या सैकरीन का प्रयोग नहीं किया जाएगा। भोजन बनाने में केवल देसी गाय के दूध, घी और मक्खन का उपयोग किया जाएगा। कच्छ में व्यक्तिगत गाय पालने वालों को बाजार मूल्य से अधिक कीमत देकर उनसे दूध-घी खरीदा जाएगा।
विवाह का उद्देश्य गाय, पर्यावरण और प्राकृतिक खेती को बचाना इस तरह के विवाह समारोह का मुख्य उद्देश्य गाय, पर्यावरण और प्राकृतिक खेती को बचाने के साथ-साथ लोगों को भारतीय परंपरा के प्रति जागरूक करना भी है। 21 जनवरी को बेटे की शादी, 22 जनवरी को भोज और 24 जनवरी को बेटी की शादी है। शादी में सीमित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है। पटाखों और ब्यूटी पार्लर जैसे खर्च नहीं होगा। इस शादी के जरिए समाज के सामने एक बड़ी मिसाल कायम करने की कोशिश की गई है।
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