बच्चे की तरह होती है ठाकुर जी की सेवा
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में अपनी ही एक अलग परंपरा है और अपना ही एक अलग सेवा पूजा है, जिस तरह से आम इंसान को सर्दी, गर्मी, बरसात का एहसास होता है. उसी तरह से भी भगवान को भी सभी ऋतुओं का एहसास कराया जाता है. गर्मी में भगवान को ठंडक देने के लिए उन्हें विशेष प्रबंध किए जाते हैं. ठंडाई, फल, इत्र आदि का उन्हें भोग और इत्र की मालिश की जाती है, तो वहीं सर्दी में उन्हें ठंड से बचने के लिए भी मंदिर के गोस्वामियों द्वारा विशेष प्रबंध किए जाते हैं.
भगवान बांके बिहारी मंदिर के सेवायत पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी उर्फ शालू गोस्वामी ने मंदिर की सेवा की जानकारी देते हुए लोकल 18 से बातचीत में बताया कि जिस प्रकार से एक बच्चे का ध्यान रखा जाता है, जिस प्रकार से बाल अवस्था में बच्चों की सेवा होती है. उसी प्रकार से भगवान बांके बिहारी की भी सेवा मंदिर के गोस्वामी करते हैं. ठाकुर जी को सर्दी में गर्माहट देने के लिए पुजारी के द्वारा विशेष प्रबंध किए जाते हैं.
सिल्क और वेलवेट की पोशाक पहनाई जाती है
लोकल 18 से बातचीत में श्रीनाथ गोस्वामी ने यह भी बताया कि भगवान बांके बिहारी को ठंड में सिल्क और वेलवेट की पोशाक धारण कराई जाती है, जो की एक विशेष पोशाक होती है. यह पोशाक ठाकुर जी को सर्दी में गर्म रखने का कार्य करती है और उन्हें ठंड से बचाती है. उन्होंने बताया कि भगवान के शयन के समय गद्दा और विशेष कंबल जो की बहुत ही मोटे होते हैं. वह बिछाए जाते हैं. मोती सलीन की रजाई उन्हें शयन के समय औढाई जाती है.
ठाकुर जी को लगता है मेवा और केसर युक्त पदार्थ का भोग
गोस्वामी ने यह भी बताया कि ठाकुर जी को मेवा और केसर युक्त पदार्थ का भोग लगाया जाता है. इत्र की मालिश गोस्वामियों के द्वारा बांके बिहारी के शरीर को किया जाता है, तो वहीं अधिक ठंड जब होती है, तो भगवान बांके बिहारी के गर्भ ग्रह में अंगीठी जलाकर उन्हें ठंड से बचने का प्रयास किया जाता है.
Tags: Mathura news
FIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 14:11 IST
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