वाराणसी: हिन्दू कैलेंडर के एक साल में कुल चार बार नवरात्रि मनाई जाती है. इसमें 2 प्रत्यक्ष और 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं. हर साल प्रकट नवरात्रि की तरह ही 2 बार गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है. एक गुप्त नवरात्रि माघ माह में आती है तो दूसरी आषाढ़ माह में. गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है. धार्मिक मान्यता कि गुप्त नवरात्रि के दौरान देवियों की पूजा गुप्त रूप से करने से सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है. गुप्त नवरात्रि की पूजा मुख्य रूप से अघोरियों और तांत्रिकों द्वारा की जाती है. माघ माह की गुप्त नवरात्रि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल की अंतिम नवरात्रि है.वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ नवरात्रि की शुरुआत माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है.
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस बार माघ शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि 30 जनवरी को है. इस दिन से ही माघ महीने की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है जो 7 फरवरी तक चलेगी. यह नवरात्रि गुप्त तरीके से मनाई जाती है .इसमें होने वाले पूजा अनुष्ठान भी गुप्त होते हैं. शत्रुओं पर विजय के लिए इस नवरात्रि में शक्ति की साधना की जाती है.
10 महाविद्याओं की होती है पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ महीने में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है. तंत्र-मंत्र की सिद्धियों के लिए भी यह 9 दिन बेहद खास माना है. इस गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा और साधना से मनुष्य के सभी कष्टों का नाश हो जाता है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी गुरुवार से शुरू हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन देवी के स्तुति के लिए घटस्थापना किया जाता है. स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 54 मिनट तक है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी इस दिन घटस्थापना किया जा सकता है. 30 जनवरी को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से अभिजीत मुहूर्त की शुरुआत होगी.
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