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यह हादसा 6 जनवरी को सुबह 7 बजे हुआ था। खदान में अचानक पानी भरने से मजूदर अंदर फंस गए।
असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में 9 मजदूर पिछले 48 घंटो से फंसे हैं। दरअसल 6 जनवरी को खदान में अचानक पानी भर गया था। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सेना को लगाया गया है। मंगलवार रात ऑपरेशन रोक दिया गया था। सुबह फिर से रेस्क्यू शुरू हो गया है।
NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स रेस्क्यू में शामिल हो गई है।
कुछ रिपोर्ट्स में 3 मजदूरों के शव दिखने की बात कही गई। लेकिन जब भास्कर ने एसपी मयंक कुमार झा से बात की तो उन्होंने कहा कि कोई शव नहीं दिखाई दिया है। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की 5 तस्वीरें…
यह खदान करीब 300 फीट गहरी है। जिला मुख्यालय हाफलोंग से यहां तक पहुंचने में करीब 7 घंटे लगते हैं।
गोताखोरों को ट्रॉली के जरिए खदान में रेस्क्यू के लिए भेजा गया है।
क्रेन के जरिए गोताखोर पानी से भरे खादान में अंदर भेजे गए हैं।
सेना के जवानों ने घटनास्थल के पास टंपरेरी टेंट लगाया हुआ है। रेस्क्यू का सारा सामान वहां मौजूद है।
प्रत्यक्षदर्शी बोले- अचानक पानी आया, निकलने का मौका नहीं मिला
दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मुताबिक अचानक पानी आया, जिसके कारण मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है।
उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम
- गंगा बहादुर श्रेठ, रामपुर (दुम्मना-2 भिजपुर), पीएस थोक्सिला, जिला: उदयपुर, नेपाल
- हुसैन अली, बागरीबारी, थाना श्यामपुर, जिला: दर्रांग, असम
- जाकिर हुसैन, 4 नंबर सियालमारी खुटी, थाना दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
- सर्पा बर्मन, खलिसनिमारी, थाना गोसाईगांव, जिला: कोकराझार, असम
- मुस्तफा शेख, बागरीबारी, पीएस दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
- खुसी मोहन राय, माजेरगांव, थाना फकीरग्राम, जिला: कोकराझार, असम
- संजीत सरकार, रायचेंगा, जिला: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
- लिजान मगर, असम कोयला खदान, पीएस उमरांगसो, जिला: दिमा हसाओ, असम
- सरत गोयारी, थिलापारा, बताशीपुर, डाकघर पनबारी, जिला: सोनितपुर, असम
2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स
ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।
रैट होल माइनिंग क्या है?
रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।
रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।
रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन
रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है।
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