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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है।

हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने डेरा मैनेजर रणजीत हत्याकांड में बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका स्वीकार कर ली है। जिसके बाद राम रहीम को नोटिस जारी किया गया है।

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साल 2002 में हुए रणजीत हत्याकांड में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राम रहीम और उसके साथी आरोपियों को बरी कर दिया था। चीफ जस्टिस की बैंच ने इस केस को सुनवाई के लिए जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बैंच को सौंप दिया है।

रणजीत की हत्या 22 साल पहले हुई थी। जिसमें 19 साल बाद राम रहीम और उसके साथियों को पंचकूला स्थित CBI की स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट गया, जहां से 3 साल बाद वह बरी हो गया।

सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें रणजीत हत्याकांड की पूरी कहानी …

1. यौन शोषण की चिट्‌ठी से आहत होकर डेरा छोड़ा रणजीत सिंह साल 2002 में डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। रणजीत सिंह कुरूक्षेत्र के रहने वाले थे। उनका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक गुमनाम चिठ्ठी की वजह से डेरा सच्चा सौदा में हंगामा खड़ा हो गया। उस गुमनाम चिट्‌ठी में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का खुलासा था।

चिठ्ठी सामने आते ही डेरा सच्चा सौदा पर सवाल उठने लगे। डेरे में यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद रणजीत सिंह आहत हो गए। इसी बात को लेकर उन्होंने डेरे के मैनेजर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ परिवार के लोग भी डेरे से अलग हो गए।

2. गुमनाम चिट्‌ठी के शक में मारी गई थी गोली रणजीत सिंह की हत्या का मामला इसी गुमनाम चिट्‌ठी से जुड़ा, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। यह चिट्‌ठी तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। CBI ने जांच के बाद कोर्ट में कहा था कि राम रहीम को शक था कि गुमनाम चिट्‌ठी के पीछे रणजीत का हाथ है।

इस चिट्‌ठी में रणजीत की बहन का भी जिक्र था। इस चिट्‌ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, रणजीत ने कहा कि इस चिट्‌ठी के पीछे उसकी कोई भूमिका नहीं है। जिसके बाद उसकी हत्या हो गई।

इसके बाद उन्हें सजा हुई और हाईकोर्ट से आरोपी बरी हो गए।

3. 22 साल पहले हत्या, 19 साल बाद हुई थी सजा, 3 साल बाद बरी कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में पंजाब एंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी।

हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच CBI को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे।

19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद पंचकूला की स्पेशल CBI कोर्ट ने राम रहीम और 4 अन्य आरोपियों अवतार सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा राम रहीम पर 31 लाख, सबदिल सिंह पर डेढ़ लाख, जसबीर सिंह व कृष्ण लाल पर सवा-सवा लाख रुपए और अवतार सिंह पर 75 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।

इसके बाद राम रहीम सजा के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चला गया। जहां से पंचकूला की CBI कोर्ट से मिली सजा के 3 साल बाद 28 मई, 2024 को राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया।

4. हाईकोर्ट ने CBI और पुलिस के जांच के तरीके पर उठाए थे सवाल इस केस में हाईकोर्ट ने 163 पेज का फैसला दिया। जिसमें CBI और पुलिस की जांच के तरीके पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस और जांच एजेंसी ने जिस रिवॉल्वर से गोली चलने की बात कही है, घटना के वक्त वो शस्त्रागार में जमा थी। फोरेंसिक रिपोर्ट में भी उसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हुई। इसके अलावा मर्डर करने वाले जिस कार से आए थे, वो भी जांच एजेंसी को नहीं मिली। चश्मदीदों ने बताया था कि कार में चार लोग थे, उनके पास हथियार थे। जांच के दौरान एक भी हथियार बरामद नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने आगे कहा केस में सबसे अहम गवाह रहे राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह का बयान भरोसे के लायक नहीं है। जांच अधिकारियों ने खट्टा सिंह पर दबाव डालकर आरोपी के खिलाफ बयान दर्ज कराए हैं। जांच एजेंसी ने कहा कि मर्डर के बाद आरोपियों ने कशिश रेस्टोरेंट में जश्न मनाया। इसकी जांच नहीं की गई। रेस्टोरेंट के मालिक या कर्मचारियों के बयान नहीं लिए गए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसा लगता है कि जांच के वक्त अधिकारी मीडिया की चकाचौंध से काफी प्रभावित हो गए थे।

5. जिसने चिट्‌ठी छापी, उसकी भी हत्या हुई साध्वियों के यौन शोषण को लेकर लिखी यही चिट्‌ठी बाद में सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मार दी गई। पत्रकार को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या का आरोप भी राम रहीम पर लगा। जिस मामले में वह अभी भी जेल में 19 साल की कैद काट रहा है।

रणजीत हत्याकांड के अलावा राम रहीम इन 2 केसों में जेल बंद सजा काट रहा है।

राम रहीम के खिलाफ 2 और केस चल रहे…

1. 400 भक्तों को नपुंसक बनाने का मामला गुरमीत राम रहीम पर 400 भक्तों को नपुंसक बनाने का भी आरोप है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर 2015 में राम रहीम के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। 1 फरवरी 2018 को CBI ने राम रहीम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस केस में एमपी सिंह और पंकज गर्ग समेत दो डॉक्टरों को भी आरोपी बनाया गया है। ये मामला पंचकूला CBI कोर्ट में अंडर ट्रायल है।

2. धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला राम रहीम पर बठिंडा के गांव सलाबतपुरा स्थित डेरे में एक कार्यक्रम में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तरह पोशाक पहनकर नकल करने का आरोप भी है। 2007 में राम रहीम के खिलाफ सिख भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज हुआ। 2014 में बठिंडा की एक अदालत ने बरी कर दिया था। 2015 में फिर से रिवीजन पिटीशन दायर की गई थी। केस पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पेंडिंग है।

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वह गुमनाम चिट्‌ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी

हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्‌ठी ने तबाह किया था। यह चिट्‌ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। इस चिट्‌ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ पूरी खबर पढ़ें

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