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Sarso Ki Kheti: खेती-किसानी करते वक्त लापरवाही करने से सिर्फ नुकसान होता है. ऐसे में किसान कई बातों का ध्यान रखते हैं. लेकिन बहुत बार ध्यान रखने के बावजूद भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि वो सही तरीका नहीं जानते.

सरसों की खेती करते वक्त भी किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसा न हो इसके लिए किसानों को कुछ उपाय अपनाने होंगे. दरअसल सरसों की फसल में पहली सिंचाई जल्द करने पर कॉलर रॉट नामक बीमारी का खतरा बढ़ गया है. इससे फसल झुलसने की संभावना बन रही है.

सरसों की सिंचाई करते वक्त रखें ध्यान
इस वजह से किसान बेहद परेशान हो जाते हैं. लोकल 18 के से बात करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रदीप बिसेन ने कहा कि सरसों की बुवाई के बाद 25 से 30 दिन के मध्य में पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. अगर आपके खेत में नमी बनी हुई है तो सरसों के खेत में सिंचाई न करें. सरसों एक ऐसी फसल है जिसमें पानी की मात्रा बहुत कम लगती है और अधिक सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है.

सरसों के खेत में सिंचाई करते समय खेत में बराबर सिंचाई करें. एक जगह पानी जमा न होने दें. पानी जमा हो जाने के कारण फसल बर्बाद हो सकती है. सिंचाई के करीब तीन से चार दिन बाद यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए. 1 एकड़ में करीब एक बोरी यूरिया का प्रयोग करना चाहिए. इससे फसल में उत्पादन क्षमता बढ़ती है और अगर आप सरसों की खेती कर रहे हैं तो सिंचाई से पहले यूरिया का प्रयोग न करें.

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ऐसा करने पर फसल प्रभावित हो सकती है क्योंकि सरसों की फसल कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है. इसीलिए लखीमपुर जनपद में किसान पीली सरसों की खेती करते हैं.

रोग से बची रहेगी फसल
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि सरसों की खेती करते वक्त अगर इन बातों का ध्यान रख लिया जाए तो फसल में रोग नहीं लगते हैं. हर किसान को इन उपायों को अपनाते हुए ही खेती करनी चाहिए.

Tags: Agriculture, Lakhimpur Kheri, Local18

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