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आचार्य किशोर कुणाल अब हमारे बीच में नहीं हैं। लेकिन, उन्होंने धर्म और समाज के क्षेत्र में जो काम किए हैं। वह हमेशा रहेगा। महावीर मंदिर में दलित पुजारी देकर उन्होंने सामाजिक बदलाव का काम किया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। लेकिन, तर्कों से वे अपने फैसले

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1972 बैच के (गुजरात कैडर) के आईपीएस थे, बाद में पुलिस सेवा छोड़ सामाजिक-धार्मिक कार्यों को अपने जीवन का मिशन बनाया और अंतिम सांस तक इसी में लगे रहे। राम मंदिर की लड़ाई में उनकी अहम भूमिका रही थी। रामलला के जन्म स्थान को लेकर उन्होंने जो साक्ष्य दिए थे उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी माना।

अयोध्या में राम मंदिर के लिए शुरू से लगे रहने वाले किशोर कुणाल की किताबों को भी सुप्रीम कोर्ट में रखा गया था। उनके बनाए नक्शे को भी देखा गया था। फैसला आने के बाद महावीर मंदिर की ओर से सबसे ज्यादा दान राम मंदिर को दिया। महावीर कैंसर अस्पताल , महावीर नेत्रालय समेत उनके ट्रस्ट की ओर से बनवाए गए कई अस्पतालों में हजारों मरीजों को नई जिंदगी मिली।

पहले किशोर कुणाल के बैचमेट और साथियों से जानिए कुछ अनकहे किस्से

किशोर कुणाल की बैचमेट और देश की पहली महिला आईपीएस रहीं किरण बेदी ने उन्हें याद करते हुए कहा- ‘चले गए, मैं सुनते ही स्तब्ध रह गई। मैं और शाही जी बैचमेट हैं। बहुत ही शर्मीले थे। अपने बारे में कुछ भी बात करना नहीं चाहते थे। कालांतर में उनकी पहचान आचार्य किशोर कुणाल के रूप में हो गई।’

पूर्व IPS किरण बेदी ने आगे कहा

राम मंदिर आंदोलन में दिए गए उनके साक्ष्य का काफी प्रभाव पड़ा। एक साल पहले वे दिल्ली में हमसे मिले थे। पटना में बनाए मंदिरों, चैरिटेबल अस्पताल देखने को कहा था। मेरी यह हसरत पूरी नहीं हुई। शाही जी का जाना देश के लिए बड़ी क्षति है। वे पुलिस सेवा में आ गए पर उनमें सेवा भाव, समाज को बदलने और उसके कल्याण की ललक थी। वे एक गहरे आध्यात्मिक व्यक्ति थे।

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हनुमान जी का दर्शन कर ही कुछ खाया

पूर्व डीजीपी डीएन गौतम ने अपने मित्र किशोर कुणाल के निधन को अपने जीवन की अपूरणीय क्षति बताया। पूर्व डीजीपी डीएन गौतम ने पुराने किस्से को याद करते हुए बताया- ‘बात 1988 की है, जब मैं और कुणाल किशोर जी दोनों पुलिस एकेडमी हैदराबाद जा रहे थे। पहले हैदराबाद की सीधी फ्लाइट नहीं थी और दिल्ली होकर जाने में पूरा दिन लग जाता था। दिन मंगलवार था। कुणाल जी और मैं फ्लाइट में सवार हुए, तो उन्होंने कहा कि मैंने आज सुंदरकांड का पाठ नहीं किया है। मैं यहीं सीट पर ही पाठ कर लेता हूं।

इसके बाद उन्होंने फ्लाइट में ही सुंदरकांड का पाठ किया। इसके बाद जब हैदराबाद पहुंचे तो मैंने कहा कि चलिए अफसर मेस में कुछ खा लिया जाए, भूख लगी है। उन्होंने कहा कि मैं जब तक हनुमान जी का दर्शन नहीं करूंगा, नहीं खाऊंगा। इसके बाद उन्होंने पास के ही एक मंदिर में जाकर हनुमान जी का दर्शन-पूजन किया और तब जल ग्रहण किया।’

मंत्री को गंवानी पड़ी थी सीट

ऐसे ही एक किस्सा पूर्व डीजीपी डीएन गौतम ने शेयर करते हुए बताया कि-

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सीआईएसएफ में बतौर डीआईजी के पद पर कुणाल जी पटना में थे। 1989 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी। उस दौरान केंद्र सरकार में किशनगंज के एक मंत्री थे, जिन्होंने उनका यहां से ट्रांसफर करा दिया। इस ट्रांसफर के खिलाफ कुणाल जी कोर्ट चले गए और मंत्री के फैसले को चुनौती दे दी। कोर्ट में मंत्री के खिलाफ कई ऐसे सबूत पेश किए, जिसके चलते उस मंत्री की कुर्सी तक चली गई थी।

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे केस में किशोर कुणाल की अहम भूमिका थी।

अब जानिए बिहार और देश के लिए इतने खास क्यों थे किशोर कुणाल

3 प्रधानमंत्री के कार्यकाल में OSD राम मंदिर रहे थे किशोर कुणाल

किशोर कुणाल जब आईपीएस थे तो पूर्व प्रधानमंत्री बीपी सिंह ने उनको अयोध्या मामला देखने के लिए ओएसडी बनाया था। फिर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के समय भी वह गृह मंत्रालय में ओएसडी राम मंदिर थे। अयोध्या मंदिर को लेकर जितनी मीटिंग होती थी। सभी का संचालन किशोर कुणाल ही करते थे।

फिर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय पीएमओ के अयोध्या सेल के साथ जुड़े रहे। उस वक्त राम मंदिर के लिए 70 एकड़ जमीन को इनके नेतृत्व में ही अधिग्रहण किया गया था। उन्हें लगा कि जहां भगवान राम विराजमान हैं वहां मंदिर बनेगा। कहीं किसी कोने में मस्जिद बनेगी। साल 1990 में वह पूरी तरह से अयोध्या से जुड़ गए और वहां उनका आना-जाना लगा रहा।

अयोध्या मामले को सुलझाने के लिए पटना से बुलाया गया

राम मंदिर का इलाहाबाद हाईकोर्ट में जब मामला चल रहा था। उस वक्त किशोर कुणाल ने द्वारिका पीठ शंकराचार्य के संस्था राम जन्मभूमि पूर्णोधार समिति की ओर से अपनी बात को रखी कि कैसे यह राम जन्मभूमि का स्थान है और यहां मंदिर था। साल 1990 में गृह मंत्री सुबोध कांत सहाय पटना आए थे।

उस वक्त किशोर कुणाल ने उनसे अपील की थी कि अयोध्या के बारे में मुझे बहुत जानकारी है आप मुझे बुलाइए, मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं। इसके बाद किशोर कुणाल को दिल्ली बुलाया गया। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रसाद सिंह ने उनकी पोस्टिंग अयोध्या मामला सुलझाने के लिए कर दी। फिर ये लगातार हर बहस में अपनी बात को रखते रहे।

राम मंदिर के जो साक्ष्य दिए वो अहम थे

महावीर मंदिर का कार्य मिला, तब किशोर कुणाल को लगा कि वह भगवान राम के पड़ोसी हो गए हैं। उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। फिर राम जन्मभूमि पूर्णोधार संस्था की ओर से सारे बहस में शामिल हुए। अयोध्या में जहां रामलला विराजमान हैं, वही उनका जन्म स्थान है। इसका बहुत कम प्रमाण था। इसके बाद किशोर कुणाल ने साल 1990 में शोध करना शुरू किया। उन्होंने अयोध्या पर 2 किताबें लिखी , जिसका नाम है अयोध्या रिविजिटेड और अयोध्या बियोंड एड्यूसेड एविडेंस।

उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इतने सबूत दिए कि बराबरी का फैसला आया। उन्होंने कोर्ट में अपनी किताबों में दिया तर्क को रखा था। इसके बाद यह साबित हुआ कि जहां विवादित ढांचा है, वही राम जी का जन्म स्थान है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात की मान्यता दे दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विभिन्न संगठनों की ओर से राम मंदिर निर्माण पर विवाद शुरू हो गया। लेकिन, इस पूरी विवाद को सुलझाने में पिछले तीन दशक से किशोर कुणाल की अहम भूमिका रही।

कोर्ट में गया था किशोर कुणाल का बनाया हुआ नक्शा

सुप्रीम कोर्ट में किशोर कुणाल ने एक नक्शा जमा किया था, जिसमें बताया गया था कि भगवान श्री राम का जन्म उसी स्थान पर हुआ है, जहां विपक्ष अपना दावा कर रहा है। यही नक्शा बहस के दौरान दूसरे पक्ष के वकील राजीव धवन ने सर्वोच्च न्यायालय में फाड़ दिया था। उन्होंने फिर से उस नक्शे को तैयार कर पूरे साक्ष्य के साथ सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था। उसी को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में से रामचंद्र जी का जन्म स्थान घोषित किया था।

बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में 23 मई 2006 को बोर्ड के प्रशासक बने। 2010 में उसके अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने बोर्ड के कामकाज में कई बदलाव किया और इससे जुड़े ट्रस्टों के कामकाज को सुव्यवस्थित किया। साल 2016 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

महावीर मंदिर को यहां तक लाने में किशोर कुणाल की अहम भूमिका है।

अयोध्या में किशोर कुणाल ने शुरू किया राम रसोई

राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 15 दिनों के अंदर ही आचार्य किशोर कुणाल ने अयोध्या में राम रसोई शुरू कर दी थी। राम रसोई में नौ प्रकार के बिहारी व्यंजन मिलते हैं। प्रतिदिन वहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। एक बार में वहां 800 लोगों को एक साथ बैठकर भोजन कराया जाता है।

सभी का खर्च महावीर मंदिर न्यास बोर्ड की ओर से उठाया जाता है। इसके साथ ही महावीर मंदिर की तरफ से ही अयोध्या में रामलला के लिए अखंड ज्योति जलाई जाती है। इसके लिए किशोर कुणाल घी पटना से भेजते थे। वहीं, अयोध्या में कैमूर के चावल से भगवान राम को भोग लगाया जाता है।

राम मंदिर को सबसे अधिक सहयोग राशि किशोर कुणाल ने दिया

राम मंदिर का फैसला आने के बाद किशोर कुणाल ने 10 करोड़ सहयोग देने की घोषणा की। महावीर मंदिर से हर साल 2 करोड़ का सहयोग दिया गया। 2024 में 15 जनवरी को भी महावीर मंदिर द्वारा दो करोड़ रुपए राम मंदिर को दिया गया। अयोध्या मंदिर को सबसे अधिक 10 करोड़ देने वाला एकलौता महावीर मंदिर है।

पटना महावीर मंदिर के जरिए बदली दुनिया

पुलिस सेवा में रहते किशोर कुणाल पटना के एसएसपी थे। उसी समय से किशोर कुणाल का महावीर मंदिर से गहरा नाता जुड़ा हु था। पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर उस समय काफी छोटा हुआ करता था। किशोर कुणाल ने जब पुलिस सेवा से त्यागपत्र दिया और धार्मिक और सामाजिक जीवन के कार्यों को चुना तो खुद को महावी मंदिर से जोड़ लिया और अपने कुशल योजनाओं के जरिए बड़े काम किए।

साल 2000 में किशोर कुणाल ने बड़ा फैसला लेते हुए आईपीएस नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उनका मन धर्म और आध्यात्म की दिशा में आगे बढ़ गया था। खुद को इसी दिशा में समर्पित कर दिया था। उन्हें केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा के कुलपति की जिम्मेदारी सौंपी गई।वहां साल 2004 तक इस पद पर रहे। इसके बाद वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने।

छोटे मंदिर को बनाया बड़ा धार्मिक केंद्र

किशोर कुणाल ने अपने कुशल प्रबंधन के जरिए छोटे से महावीर मंदिर को बड़ा धार्मिक केंद्र में बदल दिया। किशोर कुणाल ने सबसे पहले महावीर मंदिर का जीर्णोद्धार का काम कराया । 30 अक्टूबर 1983 को जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ और इसका उद्घाटन 4 मार्च 1985 को हुआ था।

आचार्य किशोर कुणाल ने न्यास बोर्ड से जुड़ने के बाद मंदिर को मिले दान के जरिए कई अस्पताल और संस्थानों का निर्माण कराया। महावीर मंदिर के मिले दान और आमदनी के जरिए कहर बड़े अस्पताल बनवाए। महावीर कैंसर अस्पताल , महावीर नेत्रालय, वात्सल्य अस्पताल और महावीर आरोग्य संस्थान के काम आज लोगों के लिए जीवन आधार बन गया है।

महावीर मंदिर में दलित पुजारी लाकर सभी को चौंकाया

दलित समुदाय को सम्मान दिलाने और सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर से ही पहला प्रयोग किया । यहां दलित पुजारी का प्रवेश कराया तो हंगामा मच गया। दलित पुजारी के प्रवेश पर बहस शुरू हुई। लेकिन, किशोर कुणाल ने हमेशा विद्वता और ज्ञान को सर्वोपरि माना। किशोर कुणाल ने बताया कि वेद विद्यालय से वेद की शिक्षा लिए पारंगत ब्राह्मण का प्रवेश हुआ है। शास्त्रों और वेद के ज्ञान के साथ सनातन का सम्मान रखने वालों में जाति देखने की जरूरत नहीं है । इसके बाद बिहार के कई मंदिरों में दलित पुजारी का प्रवेश हुआ और सामाजिक परिवर्तन शुरू हो गया।

मोतिहारी में इसी तरह का मंदिर बन कर तैयार होगा। किशोर कुणाल ने इसकी नींव रखी थी।

विश्व के सबसे बड़े मंदिर का किशोर कुणाल करवा रहे थे निर्माण

किशोर कुणाल अभी बिहार के पूर्वी चंपारण के केसरिया में अयोध्या की तरह विश्व के सबसे बड़े मंदिर भव्य विराट रामायण मंदिर का निर्माण करवा रहे थे। ये उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसके लिए वह कई साल से कार्य कर रहे थे। वर्ष 2027 तक मंदिर के तीन मंजिले भवन का निर्माण पूरा करना उनका लक्ष्य था, ताकि रामनवमी से लोग वहां स्थापित भगवान की प्रतिमा का दर्शन कर सके। उनके अनुसार उस मंदिर का आकर 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा। इसमें कुल 12 शिखर होंगे। वही मंदिर शिवलिंग स्थापित किया जाएगा वह 33 फीट ऊंचा और 33 फीट चौड़ा होगा।

इसके अलावा सहस्त्र लिंगम में 1008 शिवलिंग होंगे। इस मंदिर को बनाने के लिए मजदूर 24 घंटा कार्य कर रहे हैं। यह मंदिर अब आकार भी लेने लगा है। विराट रामायण मंदिर का एक भव्य मॉडल किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर में बनवा कर रखा है ताकि लोग उस मंदिर के बारे में जान सके।

पिछले साल ही जून 2023 किशोर कुणाल मंदिर का नींव डालने के लिए केसरिया गए थे। वहां पर भव्य तरीके से पूजा पाठ करवा कर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। करीब 500 करोड़ की लागत से इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

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