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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Freepik

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अस्पताल पहुंच रहे 30 फीसदी मरीज एलर्जी से परेशान हैं। इनके कारण मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब शरीर का इम्यून सिस्टम किसी सामान्य चीज को हानिकारक समझता है और उसके खिलाफ प्रतिक्रिया करता है तो शरीर में एलर्जी हो सकती है। 

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इस समस्या से निपटने के लिए पटेल चेस्ट स्थित वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी का 58वां वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी विषय पर एलर्जी से जुड़े विशेषज्ञों ने इसके कारण, रोग का इलाज, उपचार में सुधार सहित अन्य पर चर्चा की। 

वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर व इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राज कुमार ने बताया कि कई कारणों से आंख, त्वचा, नाक सहित अन्य अंग में एलर्जी की समस्या देखने को मिल सकती है। इसके होने के पीछे पारिवारिक इतिहास, पर्यावरणीय कारण, खाद्य एलर्जी, दवाइयां, कीटनाशक और रसायन, कीड़े और ततैया, आवश्यक तेल और खुशबू, मौसम और जलवायु, संक्रमण, खेतों और बगीचे में काम करन हो सकता है। एलर्जी होने पर खुजली, रैशेज, सांस की तकलीफ, आंखों में जलन सहित दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। 

बढ़ रही है एलर्जी और अस्थमा की समस्या 

देश में एलर्जी और अस्थमा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। खासकर कोरोना महामारी के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हुई है। सम्मेलन में एलर्जी और अस्थमा के नवीनतम प्रगति पर चर्चा। डॉक्टरों ने बताया कि अस्थमा के मरीजों के इलाज के लिए कई दिशाओं पर काम किया जा रहा है। नई दवा, एआई तकनीक सहित अन्य पर शोध चल रहा है। 

10 फेलोशिप प्रदान की गईं 

सम्मेलन में श्वसन संबंधी एलर्जी के निदान के लिए भारत में एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी के अभ्यास के लिए और नेबुलाइजेशन थेरेपी पर भारतीय दिशा निर्देश पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सम्मेलन के दौरान इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी की 10 फेलोशिप प्रदान की गई।

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