Delhi: Ngt Issues Notice To School For Destroying Pond And Park – Amar Ujala Hindi News Live
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हिंडन नदी। – फोटो : अमर उजाला
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राजधानी के एक स्कूल को तालाब और पार्क को नष्ट करना भारी पड़ा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार और स्कूल को नोटिस थमा कर जवाब मांगा है। मामला तब सामने आया जब टैंक रोड में स्थित आनंदपुरी व गोविंदगढ़ इलाके की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लयूए) ने अदालत में अपनी एक याचिका दायर की।
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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रसाद नगर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में टैंक रोड में स्थित आनंदपुरी क्षेत्र के पीछे एक पार्क मौजूद है। इस क्षेत्र में एक प्राकृतिक तालाब और 100 फीट लंबी सड़क थी, जिसे तालाब और पार्क क्षेत्र को कवर करने के लिए फेथ अकादमी स्कूल को एक अस्थायी पट्टे पर दिया गया था। स्कूल ने दोनों को नष्ट कर दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन से संबंधित एक मुद्दा उठाया गया है, ऐसे में प्रतिवादियों को ई-फाइलिंग के माध्यम से सुनवाई की अगली तारीख 27 मार्च 2025 से कम से कम एक हफ्ते पहले अदालत को हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करें। इसके लिए अधिकरण ने प्रतिवादियों के खिलाफ नोटिस जारी किया। पीठ में विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल भी मौजूद रहे।
हिंडन डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए संयुक्त प्रयास करें: एनजीटी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के संबंधित प्राधिकारियों को ग्रेटर नोएडा में हिंडन नदी के डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए संयुक्त प्रयास करने का निर्देश दिया है। अधिकरण ने कहा कि आठ सप्ताह के भीतर आगे की प्रगति रिपोर्ट दाखिल की जाए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई को 24 मार्च 2025 के लिए टाल दिया। अधिकरण ग्रेटर नोएडा के बिसरख में एक आवासीय कॉलोनी, शिवम एन्क्लेव से नदी में सीवेज के निर्वहन के मामले की सुनवाई कर रहा था।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि शिवम एन्क्लेव से अस्थायी उपाय के तौर पर सीवेज को नदी में छोड़ा जा रहा है। यही नहीं, अस्थायी पाइप को काट दिया गया है। पीठ ने कहा कि यह खुलासा हुआ है कि शिवम कॉलोनी अवैध रूप से हिंडन नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनी है। वहां बिना किसी अनुमति या मंजूरी के निर्माण कार्य किया जा रहा है।
अधिकरण ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के वकील की दलीलों पर गौर किया। इसके मुताबिक, अतिक्रमण हटाने के लिए प्राधिकरण और राज्य के सिंचाई विभाग के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें विभाग ने यह रुख अपनाया था कि ऐसे अतिक्रमण केवल विकास प्राधिकरण की तरफ से ही हटाए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा, उत्तर प्रदेश राज्य के वकील इस बात से असहमत नहीं हैं कि अतिक्रमण या अनधिकृत निर्माण को हटाना राज्य के प्राधिकारियों तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की संयुक्त जिम्मेदारी है। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं।