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नई दिल्ली35 मिनट पहले

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ED ने पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से भी 27.9 करोड़ रुपए कैश और 5 किलो गोल्ड जब्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में राज्य के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत मंजूर कर ली, लेकिन कुछ शर्तें भी लगाई हैं। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को विंटर वेकेशन या 31 दिसंबर 2024, जो भी पहले हो, आरोप तय करने का फैसला करने का निर्देश दिया है।

जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा, चटर्जी को 1 फरवरी 2025 को रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि ट्रायल कोर्ट विंटर वेकेशन से पहले उन पर आरोप तय करे। साथ ही जनवरी 2025 के दूसरे और तीसरे हफ्ते तक कमजोर गवाहों की बयान रिकॉर्ड करे।

कोर्ट ने कहा कि यह काम पूरा होने के बाद ही पार्थ चटर्जी को जमानत पर रिहा किया जाएगा। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि पार्थ चटर्जी को 1 फरवरी से आगे हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि रिहाई के बाद चटर्जी कोई सार्वजनिक पद नहीं संभालेंगे, लेकिन विधायक के रूप में काम कर सकते हैं।

ED ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामल में पार्थ चटर्जी को 25 अप्रैल 2023 में गिरफ्तार किया था।

22 जुलाई को पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता के 18 ठिकानों से ED ने रेड में 20 करोड़ कैश बरामद किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही पार्थ जेल में हैं।

4 दिसंबर को सुरक्षित रखा था फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े में पार्थ की जमानत याचिका पर 4 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। चटर्जी 2.5 साल से जेल में हैं।​​​​​​

टीएमसी ने भी राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी को पार्टी से निलंबित कर दिया था और उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था।

उनके वकील की मुकुल की दलील देते हुए कहा था- चटर्जी को छोड़कर इस मामले के सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, एक हफ्ते पहले भी एक आरोपी को जमानत मिली थी।

इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी संदिग्ध को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता और इसलिए आरोपी और पीड़ितों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना होगा।

ममता सरकार में नंबर-2 की हैसियत रखते थे पार्थ

ममता सरकार में पार्थ चटर्जी सबसे सीनियर मंत्री थे। वो दक्षिण 24 परगना के बेहला पश्चिम सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। पार्थ चटर्जी 2011 से लगातार मंत्री थे। वे 2006 से 2011 तक बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। पार्थ के पास वर्तमान में उद्योग, वाणिज्य और संसदीय कार्य जैसे बड़े मंत्रालयों का प्रभार था।

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