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अनंत अंबानी द्वारा स्थापित पशु देखभाल केंद्र वनतारा अब 400 पशुओं को स्थायी आश्रय देने की तैयारी कर रहा है। इनमें 74 भैंसें और 326 बकरियां शामिल हैं। ये पशु गढ़ीमाई महोत्सव से जुड़ी क्रूर पशु बलि के लिए अवैध रूप से ले जाए जा रहे थे। इस बचाव अभियान का नेतृत्व भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने बिहार सरकार के सहयोग से किया।
इन पशुओं को भारत के उत्तरी राज्यों से नेपाल बलि के लिए अवैध रूप से ले जाया जा रहा था, लेकिन SSB के कर्मियों ने पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) और ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (HSI) जैसी प्रमुख पशु कल्याण संस्थाओं के सहयोग से इन्हें रोक लिया।
उत्तराखंड होम सेंक्चुरी भी भेजा जा सकता है वनतारा के पशु चिकित्सकों ने इन बचाए गए पशुओं की जांच की। डॉक्टरों ने बताया कि इन पशुओं को कई दिनों तक बिना भोजन और पानी के यातनापूर्ण परिवहन सहना पड़ा। अब इनकी वनतारा के अभयारण्य में देखभाल होगी। इनमें से 21 छोटे बकरों को, जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है, पीएफए, उत्तराखंड द्वारा संचालित हैप्पी होम सेंक्चुरी, देहरादून भेजा जाएगा।
अनंत अंबानी ने असाधारण मामले में सहायता की- गौरी मौलेखी
पीपल फॉर एनिमल्स पब्लिक पॉलिसी फाउंडेशन की संस्थापक गौरी मौलेखी ने इस बचाव अभियान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र सीमा बल (SSB) और बिहार सरकार ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में अवैध पशु परिवहन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में हमारी टीमों ने SSB के साथ मिलकर इन पशुओं को बचाने का सफल प्रयास किया, जो कानून प्रवर्तन और पशुओं के जीवन की रक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम अनंत अंबानी जी और वनतारा के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने इस असाधारण मामले में आवश्यक पुनर्वास सहायता प्रदान की। इस मामले में असाधारण हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
10 साल पहले गढ़ीमाई महोत्सव में 5 लाख पशुओं की बलि दी गई थी
गढ़ीमाई महोत्सव भारत-नेपाल सीमा के पास आयोजित होता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा अनुष्ठानिक पशु बलि उत्सव माना जाता है। इसमें 2014 में ही 5 लाख से ज्यादा पशुओं की बलि दी गई थी। इन पशुओं में से अधिकांश को भारत से अवैध रूप से, मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड से ले जाया गया था। इसमें पशुओं को अत्यधिक क्रूरता का सामना करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीमा पार पशु तस्करी को रोकने के लिए कई निर्देशों के बावजूद, जिनमें निर्यात लाइसेंस के बिना परिवहन पर रोक और सीमा बलों जैसे सशस्त्र सीमा बल (SSB) द्वारा सख्त प्रवर्तन शामिल है, अवैध तस्करी अभी भी जारी है। यह बचाव अभियान बलि के अनुष्ठानों से जुड़े पशु कल्याण की चुनौतियों और इन प्रथाओं के खिलाफ कानूनों को लागू करने के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयासों को उजागर करता है।
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