कांग्रेस ने तेजस्वी की ताजपोशी रोकी
लालू भी समझ गए हैं कि कांग्रेस के माया जाल में फंसे रहने का अब कोई औचित्य नहीं है. प्रियंका गांधी के दबाव में कांग्रेस को आरजेडी ने विधानसभा चुनाव में 70 सीटें नहीं दी होतीं तो शायद नीतीश कुमार नहीं, तेजस्वी यादव आज बिहार के सीएम होते. कांग्रेस 70 में सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी. 12-14 सीटें कम रहने के कारण तेजस्वी की ताजपोशी नहीं हो पाई थी.
कांग्रेस से अब कोई उम्मीद नहीं
शायद यही वजह है कि लालू का अब कांग्रेस से मोह भंग हो गया है. राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का प्रमुख बनाने पर लालू यादव ने भी अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अरविंद केजरीवाल की तरह सहमति जता दी है. वे ताल ठोक कर कहते हैं कि ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व मिलना चाहिए. आश्चर्य होता है कि राहुल का दूल्हा बनने का प्रस्ताव देने वाले लालू अब उन्हें कुंआरा रखने की राय जता रहे हैं. ममता भी इन नेताओं के मिले समर्थन से गदगद हैं. उन्होंने सबका आभार जताया है.
लालू के स्टैंड से सियासी पंडित भौंचक
लालू के रुख में अचानक आए इस बदलाव का सियासी पंडित विश्लेषण करने में जुट गए हैं. वे समझ नहीं पा रहे कि राहुल गांधी को विपक्ष का दूल्हा बताने वाले और सोनिया गांधी के सियासी जमाने से ही बेहतर संबंधों के बावजूद लालू ने अचानक अपना मानस कैसे बदल लिया. राहुल की राह में किसी तरह की रुकावट न आए, इसके लिए लालू ने 17 महीने तक साथ-साथ सरकार चलाने वाले रहे नीतीश कुमार के साथ खड़े न होने का निर्णय लिया था. बेटों को सत्ता सुख से वंचित करने का जोखिम मोल लेने में तनिक भी संकोच नहीं किया था.
कांग्रेस मोह में ही नीतीश का साथ छूटा
लालू ने नीतीश कुमार का साथ दिया होता तो वे इंडिया ब्लॉक का संयोजक तो बन ही गए होते. नीतीश ने पीएम की रेस से पहले ही अपने को अलग कर लिया था. ममता ने जब नीतीश को संयोजक बनाने का विरोध किया तो लालू इसके लिए अड़ने-लड़ने की बजाय चुप रहे. इतना ही नहीं, एक बार तो उन्होंने यह भी कह दिया कि संयोजक की जरूरत ही क्या है. यानी राहुल की मर्जी-सहमति का लालू ने खूब ख्याल रखा. इतना कि उन्होंने बेटों को मिल रहे सत्ता सुख की भी तिलांजलि दे दी. नाराज होकर नीतीश ने ‘इंडिया’ ही छोड़ दिया और महागठबंधन की सरकार की जगह एनडीए की सरकार बन गई. डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव और मंत्री बने तेज प्रताप बेरोजगार हो गए.
नाकाम साबित हुआ लालू का दूल्हा
राहुल गांधी के नेतृत्व संभालने पर इंडिया ब्लॉक न सिर्फ लोकसभा चुनाव में नाकाम रहा, बल्कि बाद के विधानसभा चुनावों-उपचुनावों में भी इंडिया ब्लॉक की दुर्गति होती रही. लालू को अब लग रहा होगा कि राहुल पर दांव लगाना अब अपने अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा करना है. उनके जैसा ही सोच दूसरे विपक्षी दलों का भी है. लालू की पार्टी आरजेडी को जिस बिहार में राजनीति करनी है, वहां भी राहुल-सोनिया का चेहरा लाभ दिलाने की स्थिति में है। कांग्रेस बिहार में तो आरजेडी के ही भरोसे है.
ममता भाजपा विरोधी दबंग चेहरा
दूसरी ओर ममता बनर्जी अपने प्रदेश में पंचायत चुनाव से लेकर संसदीय चुनाव तक अपना परचम लहराती रही हैं. लोकसभा में विपक्ष की तीसरी बड़ी पार्टी ममता की टीएमसी ही है, जिसके 29 सांसद हैं. 2009 के संसदीय चुनाव में ममता की पार्टी टीएमसी 19 सीटों के साथ लोकसभा में छठी सबसे बड़ी पार्टी थी. 2019 में इसके 22 तो 2024 में 29 सांसदों के साथ टीएमसी लोकसभा में चौथी बड़ी पार्टी बन गई है.
ममता भाजपा विरोधी दबंग चेहरा
ममता के पक्ष में दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वे भाजपा से मुकाबले में सबसे सफल चेहरा हैं. ममता में भाजपा से लोहा लेने की क्षमता तो दिखती है, लेकिन बंगाल से बाहर उनका चेहरा नेताओं के अलावा जनता को कितना स्वीकार होगा, यह देखने वाली बात होगी. खैर , ममता के बारे में यह तो मानना ही पड़ेगा कि बंगाल में भाजपा की हवा निकाल कर उन्होंने विपक्षी नेताओं में अपनी अलग पहचान बनाई है. यही वजह है कि लालू ने राहुल का मोह छोड़ कर ममता के साथ खड़े होने का फैसला किया है.
Tags: Bihar News, Mamata banerjee, Nitish kumar
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 13:38 IST
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