ऑस्ट्रेलिया की जिस बेईमानी की बात कर रहे हैं वह 1981 के एक वनडे मैच की है.ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच में पहले बैटिंग करते हुए 4 विकेट पर 235 रन बनाए. इसके जवाब में न्यूजीलैंड ने 49.5 ओवर में 8 विकेट पर 239 रन बना लिए थे. न्यूजीलैंड को मैच टाई कराने के लिए आखिरी गेंद में 6 रन चाहिए थे. ऑस्ट्रेलिया यह मैच हार नहीं सकता था, फिर भी उसके गेंदबाज ट्रैवर चैपल ने ऐसा कुछ किया, जिसे खेल भावना के लिहाज से बेहद खराब माना गया.
ट्रैवर चैपल ने ने खेल भावना का मजाक अपने भाई ग्रेग चैपल के कहने पर उड़ाया, जो उस समय ऑस्ट्रेलिया के कप्तान भी थे. ग्रेग चैपल ने अपने भाई ट्रैवर चैपल से आखिरी गेंद अंडरआर्म फेंकने को कहा. यह नियम के खिलाफ नहीं था, लेकिन तब भी इसे कोई भी सही नहीं मानता था और यही कारण है कि इससे पहले किसी ने भी इंटरनेशनल मैच में ऐसी हरकत नहीं की थी.
ट्रैवर चैपल ने आखिरी गेंद अंडरआर्म फेंकी. एक तरह से उन्होंने गेंद को सिर्फ स्टंप के सीध में लुढ़का भर दिया. गेंद पिच पर लुढ़कती हुई, जिसे आम बोलचाल में सुर्रा कहते हैं, के अंदाज में बैटर ब्रायन मैकेनी के पास पहुंची. उन्होंने इसे बैट से रोक भर दिया. जाहिर है ऐसी गेंद पर बाउंड्री पार तो भेजा नहीं जा सकता था. ब्रायन मैकेनी ने भी ऐसी कोशिश नहीं की लेकिन उन्होंने गेंद को रोकने के बाद बैट को गुस्से में फेंक जरूर दिया.
ट्रैवर चैपल के अंडरआर्म ‘टैलेंट’ की पूरे क्रिकेट जगत में आलोचना की. हर किसी ने कहा कि यह क्रिकेट के नियमों का मखौल उड़ाया गया है. आईसीसी भी हरकत में आई और इस घटना के बाद उसने नियम बदल दिया. इसके बाद अंडरआर्म बॉलिंग की मान्यता खत्म हो गई. यह खेलभावना के विपरीत तो पहले भी माना जाता था, अब नियमों में भी इसे प्रतिबंधित कर दिया गया.
Tags: Australia Cricket Team, Australia vs New Zealand, Greg Chappell
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