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इंफाल1 घंटे पहले

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मणिपुर की राजधानी इंफाल में मंगलवार को सैकड़ों लोगों ने एक रैली निकाली। ये लोग यहां आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) फिर से लागू करने और जिरीबाम में तीन बच्चों और तीन महिलाओं की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए थे। ये लोग मणिपुर को नष्ट मत करो, मणिपुर को बचाओ के नारे लगा रहे थे। रैली पश्चिमी इंफाल के थाउ मैदान से शुरू होकर 5 किलोमीटर दूर खुमान लैंपक स्टेडियम पहुंची। आज (10 दिसंबर) मानवाधिकार दिवस भी है। इसी मौके पर ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन, पोइरेई लीमारोल मीरा पैबी अपुनबा मणिपुर, ऑल मणिपुर वूमेन वॉलिंटरी एसोसिएशन, मानवाधिकार समिति और मणिपुर छात्र संघ ने संयुक्त रैली निकाली।

नवंबर में हुई 6 लोगों की हत्या नवंबर में जिरी और बराक नदियों में तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव बरामद हुए थे। इसके बाद राज्य में फिर हिंसा हुई थी। मणिपुर में पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं। हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

मणिपुर-असम को जोड़ने वाली बराक नदी में 6 महिलाओं और बच्चों के शव मिले थे।

मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में AFSPA फिर से लागू

मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में 14 नवंबर से फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं।

इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना क्षेत्र में AFSPA लागू किया गया है।

AFSPA में बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

अब राज्य के 13 इलाकों में AFSPA लागू नहीं केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के 13 इलाके ही AFSPA से बाहर हैं। इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने इम्फाल, लाम्फल, सिटी, सिंगजमई, सेकमई, लमसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपाट, हेइंगांग, लाम्लाई, इरिलबंग, लेइमाखोंग, थौबाल, बिश्नुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिंग, और जिरिबाम को AFSPA से बाहर रखा था।

सोमवार को मणिपुर के जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में 10 संदिग्ध उग्रवादी मार गिराए थे। उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशन और पास के CRPF कैंप पर अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं। अगले ही दिन जिरिबाम जिले से उग्रवादियों ने छह नागरिकों (महिलाएं और बच्चे शामिल) का अपहरण कर लिया था।

जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था।लेकिन इस साल जून में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई।

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मणिपुर के जिरिबाम जिले में 11 नवंबर को CRPF जवानों ने एनकाउंटर में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया। घटना दोपहर 2.30 बजे बोरोबेकेरा के जकुराडोर करोंग इलाके की है।यहां के पुलिस स्टेशन और CRPF चौकी पर इन उग्रवादियों ने हमला किया था। जवाबी कार्रवाई के दौरान CRPF का एक जवान घायल हुआ, उसका असम के सिलचर में इलाज जारी है। ये इलाका असम सीमा से लगा हुआ है। पढ़ें पूरी खबर...

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